Wednesday 26 February 2014

शेरो - शायरी

जुवां सहम गयी  तेरी दीदार से - ऐसा लगा अमावस कि रात पूर्णिमा हो गयी 

जैसे ही कि तुमने जाने कि बात - वही दिन और वही रात हो गयी 


इंकार मुहब्बत कौन करे - जब डूबा दोनों प्यार कि सागर में 

पहले तुम निकलो तो तुम निकलो - दोनों डूब गए इस सागर में



हो आया प्यार उसे उससे - मगर प्यार नहीं हो पाया प्यार को उससे,

सबसे सब प्यार करे जरुरी नहीं - मगर उसकी जुबां से इंकार भी नहीं आया ता उम्र !!

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अपन मत जरुर दी - धन्यबाद !