Friday 26 December 2014

श्रद्धांजलि ( स्वर्गीय श्री शैलेन्द्र मिश्र भाइके )

श्रद्धांजलि ( स्वर्गीय श्री  शैलेन्द्र मिश्र भाइके )
M  S अपार्टमेंट  सिविल  सर्विस  ऑफ़िसर कलव  के जी  मार्ग देल्ही
२१ दिसम्बर २०१४ 
   
१६ दिसम्बर  २०१४  के  शैलेन्द्र  मिश्र  बिमारी सं ग्रषित  के  कारन  मात्र  - ५२ वर्ष के अवस्था  में  स्वर्गवशी  भगेलहा , हुनक श्रद्धांजलि  देबाक लेल  मिथिला कला मंच आ सुगति - सोपान  के  सानिंध्य  में श्री मति - कुमकुम झा   और  A -वन फिल्ल्म  इंडिस्ट्री    के  संचालक  सुनील झा पवन के अगुवाई  में  विभिन्  प्रकार के डेल्ही   एन सी आर  में  जतेक  भी संस्था  अच्छी  हुनका  सब  के  समक्ष  शैलेन्द्र  मिश्रा नामक  बल्ड  बैंक  के योजना  बनबै  के  मार्गसं अविगत  केला ।  जे  गति शैलेद्र  भाई , हेमकान्त  झा , अंशुमाला झा  के  संग  भेल ।  ओहि विपप्ति  सं  दोसर किनको  नै  गुजरै परैं ।  कियाक  नै  हम  सब  मिल  एकटा  एहन  काज  करी  जाहिसं  मैथिलि कला मंच के हित  में राखी  हुनका  लेल  किछु  राशि निवित  राखल  जय और  ओहि  राशि  के  शैलेन्द्र  भाई  एहन  लोक  लेल  जरुरत  परला पर  मैथिल कला मंच  काम  आबैथि  ।
      
       ब्लड  बैंक के  जिम्बारी  डॉक्टर  विद्यानन्द  ठाकुर  आ  ममता  ठाकुर  जी  स्वीकार  करैत  अपन  मार्ग   सं  सब  के  अबगति  करेला ।   ओतय  दहेज़  मुक्त  मिथिला   डेल्ही  प्रभाड़ी  मदन कुमार  ठाकुर   सेहो   अप्पन  जिम्मेबारी  के  निर्वाह  करैत  डी म म  के  पूर्ण सहयोग  के  अस्वाशन  देला  ।

         आखिर मिथिला कला मंच सन  पिछरल  कियाक ? से  मैलोरंग  के  समस्त  टीमसं जानकारी  और   रहस्य मय  बात के  पूर्ण  सहयोग भेटल ।   मैथिल  कला  रंगकर्मी सं  जे  भी  जुरल  छथि  हुंकर  जिनगी  कोनो  खास  नै  कहल  जय  ओहिसं जिनगी के गुजर - वसर  नै  कैइयल जा  सकइत  अच्छी ।  ताहि  हेतु  भारत  सरकार  से  उचित न्याय  के  मांग  कइल जैय ।

        एवं प्रकारे   सेकड़ो  के  संख्या   में आवि  भाई  शैलेन्द्र के  श्रद्धांजलि  दय  प्रणाम  करैत  हुनक  आत्मा के  शांति  प्रदान  होयक  लेल   गयत्री  मन्त्र  के  उच्चारण  करैत   २ मिनट  के  मोन धारण  कइल  गेल  ।

 
   शैलेन्द्र  भाई  के  गुजरालसं खास के  कला और  साहित्य  दुनू  में  बहुत  नुकसान  अच्छी ।   कही  नै  सकैत  छी  कतेको   शैलेन्द्र भाई  के  चेला  रंग कर्मी  कला  मंच  सं पाछू छुटी गेला ।  मिथिला  मैथिलि के प्रति  हुनक  एकटा  बस  अवाज  बानी  रही  गेल --
 हे  मिथिला  अहाँ  मरैय  सन  पहिने  हम  मरीय   जय    

आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा लिखल "कौरव कौन, कौन पांडव " कविता के मैथिली अनुवाद


आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा लिखल "कौरव कौन, कौन पांडव " कविता के मैथिली अनुवाद

के अछि कौरव
आ के अछि पांडव
टेढ़ अछि सवाल 
दुनू दिश
शकुनि के अछि पसरल
कुटजाल
धर्मराज नहीं छोरलाह
ई जुआ के आदत अछि
सब पंचायत में
पांचाली
अपमानित अछि
नहि छथि कृष्ण
आजुक दिन
महाभारत सुनिश्चित अछि
राजा चाहे कियो बनै
प्रजा के कन-नाई निश्चित अछि
SANJAY JHA "NAGDAH 25/12/2014

Thursday 25 December 2014

मिथिला महोत्सव - २०१४

मिथिला महोत्सव - २०१४
दहेज़ मुक्त  मिथिला  के  सानिध्य में  - 28  दिसम्बर - 2014  के  देहिसर  मुंबई में   मिथिला  मोहोसव के  आयोजन  होबय जा रहल  अच्छी ,  जाहि  में  अपनेक समस्त परिवार के  उपस्थिति  अनिवार्य  अच्छी  ,  दहेज़  खास क मिथिला  में एकटा  बहुत  पैघ समस्या अच्छी , जाहि  के  निवारण  हेतु , दहेज़ मुक्त मिथिला  परिवार  अपन  कर्तव्  के  पालन  करैत  बेर - बेर  देल्ही  आ   मुंबईटा  नै पूरा विस्व  में  दहेज़ समस्या के  खत्म  कराय  में  लागल  अच्छी , चाहे  नेपाल  सन  करुणा  झा  होयत या प्रवीण जी   आई  तक  अपन  कर्तवय  सं  पाछू  नै हैट पोलैथि  ,  ओहे जिम्बारी के  पालन  करैक  लेल  दहेज़ मुक्त  मिथिला  अध्यक्ष , पंकज झा (मुम्बई ) आ संरक्ष   पंडित  श्री  धर्मनद  झा  , संजय मिश्र  इतियादी  अनेको  भी  सहयोगी शामिल  छैथि , हुनक  अभिलाषा  कइ  पूरा  करैक  लेल  अपनेक  सहयोग  अनिवार्य  अच्छी  । 

याद रखाब - 28 दिसम्बर - २०१४  रवि  दिन 
जय मैथिल जय  मिथिला 

Saturday 6 December 2014

आप कब आओगे ?

रास्ते चलते - चलते आँख अपना काम तो वेहीचक करता ही है, चाहे कुछ अच्छा दिखे या बुरा आँख तो देखने का ही काम करता है, देखने मात्र से तो कुछ नहीं होता, होता है तो तब, जब देखने के बाद जब ये मन और ह्रिदय को छू जाती है चाहे कुछ अतिसुंदर,बदसूरत, ख़राब,घटना, दुर्घटना, कुछ भी  दिखे असर तो सब में ही होता है इसमें आँख का दोष क्या ? किसी भी घटना का जिम्मेदार कोई स्थान नहीं होता, होता है तो इसका रखवार,इसका देखभाल करने बाला वैसे आजकल सभी नगर और महानगर में , पार्क के आस-पास, सड़क पर ,कार में , दू पहिया वाहन पर , और यहाँ तक की पब्लिक पैलेस पर भी युगल जोड़ी एक -दुसरे से ऐसे चिपके रहते हैं की आँख पड़ने मात्र की देर है फिर शालीन से शालीन लोगो  की भी आँख देखते ही देखते रह जाती है , और मन ही मन अपने नजरिये से आलोचना करते हुए निकल जाते है ऐसे में युगल जोड़ी भी खतरे में और राही/दर्शक भी, लेकिन संभालना किसे है जोड़ी को या राही को? किसको समझाए दोनों के पास मन ही तो है जो काबू में नहीं है, ऐसे में दुर्घटना का होना तो स्वाभाविक ही है पर ऐसा भी नहीं की सडको पर दुर्घटना सिर्फ इसी तरह के कारण से होता है, और भी अनेक कारण हो सकता है क्या सभी युगल जोड़ी एकांत हो जाय तो घटना रूक जायेगा? नहीं , ऐसा संभव नहीं है
 बहुत सी ऐसी सुन्दर बाग़, इमारत, सुंदर चीजे, सुन्दरी, दिखाई देती है जिससे लोगो का ध्यान भंग होता है, ठीक इसके विपरीत अगर कोई बदसूरत, कुरूप, अधिक मोटा-मोटी, घटना और दुर्घटना भी रास्ते में दिखती है जिससे ध्यान भंग होता है, जिसके कारण दुर्घटना होने की सम्भावना बढ़ जाती है जरुरत है सड़क पर एकाग्रता की , सड़क पर ध्यान रखने की , परिवहन के नियमो का पालन करने की जिससे आप सकुशल घर पहुँच सकते है क्योकि घर पर आपका कोई इंतज़ार करता है ,और मन ही मन पुकारता रहता है , आप कब आओगे ?

संजय कुमार झा "नागदह" ०७/०८/२०१३

Friday 7 November 2014

शामा- चकेवा मोहत्सव शिव शक्ति सोसाएटी के द्वारा नॉएडा -

शामा- चकेवा  मोहत्सव  शिव शक्ति सोसाएटी के  द्वारा   नॉएडा -
   
      लगातार सात वर्ष से कार्य - कर्म   के  पालन  करैयत शिव  शक्ति   सोसाईटी  फेर एक  बेर  अपन ज़ीमेबरी  के  निर्वाह करैयत   नॉएडा सेक्टर 71 मे  समा - चकेवा पर्व  मोह्होत्सव के  आयोजन विश्मभर ठाकुर  के  अध्यक्छता मे सम्पनय भेल  , जाहि में  मुखय अतिथि  संसद श्री महेश शर्मा   विधायक  बिमला नाथन के कर कमाल द्वारा दीप प्रज़ोलित करैत सभा के मनोरंजनक दिस  इसारा करैत   किसलय कृष्ण जी के माइक सुपूर्ति  कइल  गेलन  –

      मंच के  संचालन क्रिसलय कृष्ण जी करैयत सुनील झा पवन , हरीनाथ झा , रिचा ठाकुर , निशा झा , संगीता तिवारी ,कोसल किशोर  अनिल अकेला , जी के सानिध्य में  रंगा रंग कार्य करम - चालू  भेल - निशा  झा  के  समां -चकेव गीत सुनी  दर्शाक  खास क मई - बहिन  बहुत  रास  आनंद  उठेली ,

ओहिना  रिचा  ठाकुर  के  स्वमधुर सं निकलल समां चकेवा के  गीत  होय  या  भगवती  बंदना , श्रोता सुनी मन्त्र - मुग्ध  भगेला , तहिना सुनील जी के अहा - अहा- की  कहु कोना के  तुटलो मोती के हार , आ हैए तुमोल वाली  हे ये सुपौल वाली , एतेक  दर्शक  उत्साहित भेलाह  वर्णन  नै  क सकैत  छी ।  कहावत  कोनो खराप  नै  छैक  जनम  यदि  ली त  मिथिलेटा  में  ली  से हरिनाथ झा सावित केला १०३डिग्री बोखार रहैत  मंच पर ऐला , जेना लागल  जे  गामक हवा  संगे  लेक  ऑयल  छैथ - हेगै  बुधनी माय --- चल गए बच्ची गाम पर ---  जातेय   देखे  छी  ततय  बिहार -- सुनिक  दर्शक लोकनि  लोट  पोट भगेला ,


   संगीत मनोरंजन  समापन के  बाद  - मिथिला मैथिलिक मौलिक अधिकार भारतीय संघ  द्वारा , 
तकर  कलस यात्रा  जे १३ सेप्टेम्बर  २०१४ के साईं करुणा धाम सं सुरुवात  कइल गेल छल , ओहि  कलस  यत्रा  के  सुनील झा पवन जनजागरण  हेतु भर  उठेने छाला ओ भार मदन कुमार ठाकुर (विद्यापति गौरव मंच)  विद्यापति कालोनी जलपुरा ग्रेटर नॉएडा निवसी के सोपल गेलानिं  

Sunday 28 September 2014

चिठ्ठी - विनय बिहारी जी के नाम

   
श्रीयुत् विनय बिहारीजी  

   माननीय कला एवं संस्कृति मंत्री,बिहार ।

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नवरात्रा की शुभकामनाओं के साथ कहना चाहूँगा कि मुझे पूर्व में कुछ दिन आपके सानिध्य में आने का सौभाग्य रहा है और आप मेरे FB मित्र भी हैं इसलिये, आपसे खुली बात करने में मुझे कोई संकोच नहीं है।

      आपने दरभंगा के KSDS विश्वविद्यालय के सभागार में घोषणा की कि दरभंगा में रवीन्द्र भवन बनेगा।इसमे क्या शक कि रवींद्रनाथ टैगोर पूरे देश के गौरव हैं परंतु, मिथिला में भी विभूतियों की कमी नहीं।स्वयं रवींद्र नाथ टैगोर ने विद्यापति की रचना से प्रभावित होकर भानुसिंहेर पदावली की रचना की।तो मिथिला मे पहले तो महाकवि विद्यापति फिर, रवींद्र नाथ टैगोर।वैसे भी, मिथिला याज्ञवल्क्य,गौतम,कणाद,कौशिक,कपिल,द्विजेश,मंडन मिश्र,शुकमुनि,सीता,हनुमान,जैसे ईश्वरीय नामों से विभूषित है।मिथिला मे इनलोगों के नाम से संस्थान बनबाइये और यशस्वी बनिये।

   (2)मैथिली मंच पर भोजपुरी गीत गाकर कृपया, मैथिलों को दिग्भ्रमित नहीं करें।हमें किसी भी भाषा से कोई दुराव नहीं।परंतु,मैथिली की महत्ता आप जान पायेंगे तो आप भी मैथिली-मैथिली करेंगे।इस भाषा की अपनी लिपि,अपना व्याकरण,विश्व प्रसिद्ध साहित्य और साहित्यकार हैं जिसके आधार पर मैथिली को संविधान की अष्टम् अनुसूची में स्थान मिला।भोजपुरी भाषा की विचित्र स्थिति है।

       वस्तुतः यह काशी में अवधी से मिलती जुलती है,चंपारण में चंपारणी भाषा है,पटना के इर्दगिर्द यह मगही है।वस्तुतः भोजपुरी केवल आरा,छपरा,बलिया और बक्सर तक सिमटी है। किसी भी भाषा की साहित्यिक पहचान उसकी सहायक क्रियायों से होती हैं जो आजतक भोजपुरी में निर्धारित ही नहीं हो सकी।कहीं बा,कहीं लन,कहीं खे ।क्या जरूरत है मैथिलों को इस उलझन में पड़ने की।आपकी भाषा है,आप इसकी सेवा में लगे रहें, कोई आपत्ति नहीं परंतु,मिथिला में कला संस्कृति विभाग के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मैथिली का प्रभुत्व रहने दीजिये।यह जगज्जननी जानकी की मातृभाषा है ।इसे अपने ही घर में प्रभावहीन करने की राजनीति नहीं कीजिये। यह मेरा व्यक्तिगत अनुरोध है।आशा है आप मेरा पोस्ट पढ़कर मनन करने का कष्ट करेंगे।
सधन्यवाद।


DrChandramani Jha 
 

Monday 22 September 2014

दिल्लीमे मिथिला-मैथिलीक उन्नयन


दिल्लीमे मिथिला-मैथिलीक उन्नयन
उन्नयन यानि एहेन काज जाहि सँ उन्नति हो -     
       
   निस्सन्देह पैछला सप्ताहान्त १३ सितम्बर दिल्लीक साईंधाम मे आयोजित 'मैथिली महायात्रा शुभारंभोत्सव - २०१४' सँ लगातार दिल्ली मे 'मैथिली-मिथिला' केर उन्नति हेतु एक सऽ बढिकय एक कार्यक्रमक आयोजन कैल गेल अछि। बस एक सप्ताहक भीतर दुइ अति महत्त्वपूर्ण आयोजन सम्पन्न भेल अछि।
    
१५ सितम्बर लोधी रोड सभागार मे मैथिली फिल्म 'हाफ मर्डर' केर स्क्रीनींग शो केर आयोजन कैल गेल। तहिना मिथिला मिरर - मैथिली केर राष्ट्रीय न्युज पोर्टल द्वारा काल्हि वार्षिकोत्सव केर रूप मे 'विशिष्ट सम्मान समारोह - २०१४' केर सफलतापूर्वक आयोजन कैल गेल जाहि मे दर्जनो मैथिली-मिथिला विशिष्ट योगदानकर्ताकेँ सम्मानित कैल गेलनि।
           मिथिला प्राचिनकाल सँ विद्यागाराक रूप मे प्रसिद्ध रहल अछि। आइ जखन शिक्षा प्राप्ति लेल मिथिला केन्द्रक विकेन्द्रीकरण होइत उनटे मिथिला पिछडल आ उपेक्षित क्षेत्र मे गानल जाइत अछि तैयो एहि ठामक शिक्षित व्यक्तित्व दुनिया भरि मे अपन प्रतिभा सँ शिक्षाक प्रसार मे पूर्ववत् लागल छथि। ई कहब अतिश्योक्ति नहि होयत जे दुनियाक सबसँ प्रसिद्ध होवार्ड विश्वविद्यालय या कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय सँ लैत हर देश केर प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान मे मैथिलक उपस्थिति ओहिना अछि जेना भारतक विभिन्न लब्धप्रतिष्ठित विश्वविद्यालय व शिक्षण संस्थानमे मैथिल शिक्षक केर उपस्थिति विद्यमान अछि। मैथिल कतहु रहैथ, अपन विद्या आ उच्च संस्कार सँ ओहि समाज केँ नहि मात्र पारंपरिक शिक्षा प्रदान करैत छथि, वरन् भाषा-संस्कृति आ संस्काररूपी व्यवहारिक शिक्षा सेहो ओ अपन लोकपावैन व भिन्न-भिन्न आयोजनक मार्फत मानव समुदाय केँ दैत रहैत छथि। विगत किछु सौ वर्ष मे जखन मिथिलादेश टूटैत-टूटैत आब मात्र 'मिथिलाँचल' नामक क्षयशील भूत रूप मे जीबित अछि ताहि विपन्न समय मे फेर टुकधुम-टुकधुम लोकजागृति अपन 'सनातन शक्ति' केँ स्मृति मे आनि पुरखा नैयायिक गौतम, मीमांसक जैमिनी, सांख्य-उद्भेदक कपिल ओ जीवन‍-आचारसंहिता निर्माता याज्ञवल्क्य सहित नव्य-नैयायिक वाचस्पति एवं बच्चा झा केर त्यागपूर्ण कीर्ति मिथिलाकेँ फेर सँ जियेबाक लेल वचनबद्ध बनि रहल छथि। सलहेश, लोरिक आ दीनाभद्रीक जनसेना फेर सँ फाँर्ह बान्हि रहल छथि। विद्यापति, मंडन, अयाची, चन्दा झा आ सब विभूति बेरा-बेरी अपन-अपन शक्ति ओ सामर्थ्यक संग पुन: मिथिला केँ बचेबाक लेल पृथ्वीलोक मे पदार्पण कय चुकल छथि।
        राजकीय शक्ति नहि जानि कोन विद्रोही षड्यन्त्रक कारणे मिथिला-मैथिली केँ एना उपेक्षित केने छथि जेना एकरा जीबित रहला सँ अन्य सबहक नाश भऽ जेतैक या रहस्य अन्जान अछि, शोधक विषय छैक जे आखिर केन्द्र या राज्य केर कोन एहेन मजबूरी छैक जे भारतक अभिन्न हिस्सा मिथिला केँ संविधान द्वारा कोनो सम्मान सही समय पर नहि दैत छैक। मैथिली भाषा सँ पुरान दोसर कोनो साहित्यसंपन्न भाषा नहि, मुदा राजनीति मनसाय केहेन जे स्वतंत्रता प्राप्तिक ५६ वर्षक बाद एकरा संविधानक आठम अनुसूची मे स्थान देल गेलैक।    
मिथिला बज्जि-संघ केर रूप मे पहिल गणतंत्रक अनुपम उदाहरण विश्व केँ देलक आइ ओ भारतीय संघ केर हिस्सा नहि बनि सकल अछि। मैथिली आठम अनुसूची मे स्थान प्राप्त केलक, ओम्हर बिहार राज्य मे मैथिलीक पढाई खत्म करबाक लेल अनिवार्य विषय सँ ऐच्छिक बनायल गेल, फेर शिक्षक केर नियुक्ति नहि करैत मैथिली सँ पूर्णरूपेण विच्छेद कैल गेल आ मैथिली भाषा मे पठन-पाठनकेँ प्रोत्साहन देबाक ठाम पर उनटा हतोत्साहित करबाक विद्वेषपूर्ण वातावरण बनायल गेल। क्षेत्रक आर्थिक उपेक्षाक चर्चा कि करू जतय सँ लोक बिना प्रवास पर गेने अपन पेटो नहि पोसि सकैत अछि। मिथिलाक उर्वरापन बाढि आ सुखार सँ जतेक बर्बाद नहि भेल ताहि सँ बड बेसी बर्बादी एतय राजनीतिक माहौल मे आपसी जातिवादी मनमुटाव सँ लोक खेत मे काज तक केनाय छोडि देलक ताहि सँ बर्बादी बेसी भेल। अछैत उर्वरापन जँ जमीन मे बाँझपन केर प्रवेश देल जाय तऽ लक्ष्मी किऐक नहि रुसती?   
         प्रवास अत्यधिक दिल्ली मे केन्द्रित बुझाइत अछि। मैथिलक बौद्धिक क्षमता आइये नहि, मुगलकाल मे सेहो ओतबे प्रखर छल तैँ ओहि समयक राजधानीक्षेत्र ब्रज-मथुरा-पुरानी दिल्ली मे सेहो रहल छलाह। बाद मे ब्रिटिशकाल मे कलकत्ता आ आब स्वतंत्र गणतांत्रिक भारत मे राजधानी दिल्ली मे हिनका लोकनिक वर्चस्व केँ नकारल नहि जा सकैत अछि। विधानसभा, लोकसभा, विधान-परिषद्, राज्यसभा, राज्यभवन - सबठाम मैथिल केर पहुँच बनि गेल अछि। तैँ कहब जे एतेक महत्त्वपूर्ण जगह पर पहुँचल लोक मैथिली वा मिथिलाक कल्याण निमित्त तत्पर छथि तऽ सरासर गलत होयत। ओ सब एहि प्रति पूर्ण बेईमान छथि। लेकिन वर्तमान प्रक्रिया यानि 'आम मैथिल जागरण' सँ आब कुम्भकरणी निन्न टूटि रहल छन्हि। निस्सन्देह आब इहो सब दिल्ली मे सेमिनार, गोष्ठी आ विद्वत् सभा कय रहल छथि। बहुत जल्दी ई सब 'जनसभा' मे परिणति पाओत से विश्वास राखू। साहित्यिक संस्कार जखनहि समाज मे अपन ओजरूपी बीज केँ छीटैत छैक, तऽ अंकुरा सीधे क्रान्तिरूपी गाछ केर जन्म दैत छैक। प्रजातंत्र मे प्रजाक महत्त्व सर्वोपरि रहलैक अछि। एहि मादे मैथिल अभियानी लोकनि धन्यवादक पात्र छथि जे भाषा-संस्कृति, सिनेमा, पत्रकारिता सहित समाजक उन्नयन संग मैथिली-मिथिलाक उन्नयन लेल डेग निरन्तर बढा रहल छथि। धन्यवाद दिल्ली!
        
   काल्हिये सम्पन्न मिथिला मिरर केर वार्षिकोत्सव मे एक सऽ बढिकय एक व्यक्तित्व केर पहिचान कैल गेल, हुनकर विशिष्ट योगदान हेतु विशिष्ट सम्मान विभिन्न विशिष्ट नेतृत्वकर्ताक हाथें सौंपल गेल, विवरण निम्न अछि।
१. श्री महेंद्र मलंगिया, मैथिलीक विराट नाट्य लेखन कें मैथिली नाट्य लेख क्षेत्र में
२. श्री विजय चंद्र झा दिल्ली मे मिथिला-मैथिलीक लेल समाज सेवा मे
३. श्री ए. एन. झा चिकित्साक क्षेत्र में वर्तमान मे देशक सब सँ पैघ न्युरोसर्जन आ मेदांता मेडिसिटी अस्पतालक विभागाध्यक्ष
४. डा. शेफालिका वर्मा मैथिली साहित्य लेखन
५. श्री संजय कुमार झा भारतीय प्रशासनिक सेवाक क्षेत्र में वर्तमान में चीफ विजिलेंश कमिश्नर वित्त मंत्रालय भारत सरकार
६. श्री आर. डी. वर्मा व्यवसायक क्षेत्र मे चेरयमैन वीएचआर ग्रुप
७. श्री प्रकाश झा मैथिली रंगमंचक निर्देशन मे
८. श्री कौशल कुमार मैथिली फोन्ट्स (मिथिलाक्षर युनिकोड) निर्माणक क्षेत्र मे
९. श्री संजय सिंह फिल्म आ थियेटर, फिल्म गैंग आॅफ वासेपुर में फज़लू भैया आओर फिल्म राॅकस्टार मे रणबीर कपुरक संग आ देशक श्रेष्ठतम रंगमंच सँ जुडल, राष्ट्रीय नाट्य अकादमी सँ पासआउट,
१०. श्री बिमल कांत झा, सहरसा मे मिथिला-मैथिलीक लेल सतत सेवा प्रदान करनिहार एक प्रतिबद्ध व्यक्तित्व वर्तमान दिल्ली सरकार मे रजिस्ट्रारक पद पर कार्यरत,
११. श्री विष्णु पाठक मूल रूप सँ बेगुसराय निवासी आ समाजसेवाक क्षेत्र मे आगु रहनिहार,
१२. श्रीमती अनिता झा मूल सं बलाइन मधुबनीक रहनिहाइर आ खानदानी मिथिला पेंटिंग सँ जुड़ल आ करीब 200 सं बेसी लोक केँ प्रशिक्षण देनिहाइर, हिनकर कीर्ति फ्रांसक तत्कालिन राष्ट्रपति निकोलस सर्कोजी द्वारा प्रशंसित-स्वीकृत, शीला दीक्षित, नीतीश कुमार, दिल्ली मेट्रो द्वारा सेहो प्रशंसित-स्वीकृत, मूल रूप सँ तांत्रिक-पद्धति पर आधारित पेंटिंग मे महारात हासिल,
१३. श्री मेराज सिद्दिकी मैथिली भाषाक लेल अग्रसर मुस्लिम युवा आ अंतरराष्ट्रीय दरिभंगा फिल्म महोत्सवक जनक
१४. श्री किसलय कृष्ण मैथिली फिल्म आ पत्रकारिता
१५. श्रीमती आशा झा टीवी एंकर वर्तमान में प्रतिष्ठित समाचार चैनल न्यूज़ नेशन में कार्यरत
१६. श्री विश्व मोहन झा मीडिया आओर विज्ञापनक क्षेत्र मे
जय मिथिला - जय जय मिथिला!!
हरि: हर:!!

Thursday 7 August 2014

मिथिला राज्यक मांग लेल विशाल रैली : आयोजक मिरानिसे

एखने सं सोचनाई शुरू करू -  जे कोना जायब , विसरब नहि रवि दिन ११ वजे सं ५ बजे धरि


Thursday 24 July 2014

मैथिलीक सहयोगी लोकनिक सूचि :अपनेक सहयोग चाही


स्वर्गीय सर आशुतोष मुखर्जी - कुलपति कलकत्ता विश्वविद्यालय
स्वर्गीय ज्योतिषाचार्य पंडित श्री कृष्ण मिश्र - कलकत्ता विश्वविद्यालय
स्वर्गीय ज्योतिषाचार्य श्री बबुआजी मिश्र
स्वर्गीय कुमार "गंगा नन्द सिंह
वकील पंडित व्रज मोहन ठाकुर - पुरैनिया निवासी
स्वर्गीय पंडित खुद्दी झा - ग्राम कोइलख - प्रथम मैथिली व्याख्याता
स्वर्गीय बाबू गंगा पति सिंह - खण्डबला कुलोत्पन्न - प्रथम मैथिली व्याख्याता
राजा स्वर्गीय टंकनाथ चौधरी - रजौरक राजा  - प्रथम मैथिली व्याख्याता के द्रव्य देनिहार
स्वर्गीय राजा कीर्त्यानन्द सिंह - बनैलिक राजा - प्रथम मैथिली व्याख्याता के द्रव्य देनिहार
पंडित श्री कृष्ण मिश्र - मैथिली लेखक - म० म ० मुरलीधर झाक शिष्य
माधव मिश्र - एम. ए. मैथिली
गोकुलदास झा - चक्रवर्ती - दिनाजपुर - एम. ए. मैथिली
डॉ माहेश्वरी सिंह "महेश " - भागलपुर- एम. ए. मैथिली
श्री जयदेव मिश्र - एम. ए. मैथिली
स्वर्गीय पंडित मधुसूदन झा - मैथिली हितसाधन के प्रकाशक
पंडित श्री  मुरलीधर झा - मिथिलामोद के प्रकाशक
पंडित श्री अनूप मिश्र - म० म ० मुरलीधर झाक शिष्य
पंडित श्री सीताराम झा - म० म ० मुरलीधर झाक शिष्य
स्वर्गीय उपेन्द्र नाथ झा -
श्री हरिकांत झा बकसी मोद
डॉ कांचीनाथ झा किरण
म० म० पंडित बालकृष्ण मिश्र - हिन्दू वि० वि० के आचार्य
महामना पंडित मदनमोहन मालवीय - हिन्दू वि० वि० के उप - कुलपति
सर जओर्ज  गियर्सन - प्रथम मैथिली व्याकरण लिखनिहार
महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह
कवि चंदा झा
पंडित विष्णु कांत झा - मिथिला मिहिर के पहिल संपादक
जगदीश्वर ओझा - मिथिला मिहिर के दोसर संपादक
श्री सुरेन्द्र झा "सुमन " - मिथिला मिहिर संपादक
पंडित शशिनाथ चौधरी - मैथिल महासभा के प्रथम मंत्री
श्री भोला नाथ झा - मैथिल महासभा के दोसर मंत्री  
म० म० डॉ सर गंगा नाथ झा
म० म० डॉ उमेश मिश्र
रायबहादुर जयानंद कुमार
पंडित सिद्धिनाथ  मिश्र
पंडित जीवनाथ राय
रायबहादुर रामलोचन शरण
श्री सूर्य नारायण सिंह
पंडित रघुनन्दन झा
श्री तंत्र नाथ झा
श्री सुरेन्द्र नाथ मजूमदार - मैथिलीक स्वीकृत्यर्थ प्रस्तावक - पटना वि० वि० में मैथिली लेल
श्री अतुलानन्द सेन - समर्थक
श्री राधा कृष्ण झा - विरोधी - प्रस्ताव पास नहि भेल 
मैथिल छात्र समिति - मुजफ्फरपुर जे मैथिली के बढ़ेबालेल काज केलक - थोरवे दिन चलल , मुदा मैथिल छत्रक मोन में ए भावना आनि देलक जे हमर भाषा मैथिली थिक.
म० म० मुकुंद झा
कवीश्वर बद्रीनाथ झा
पंडित देवी कांत ठाकुर
स्वर्गीय हरगोविन्द चौधरी एम. ए . हिंदी प्रथम , सुवर्ण पदक प्राप्त - मैथिलीक प्रस्तावक
प्रो० डॉ अनत प्रसाद - समर्थक
डॉ जनार्दन मिश्र , संस्कृत आ हिंदी व्याख्याता - विरोधी , प्रस्ताव पास नहि भेल 
डॉ कामेश्वर सिंह - दरभंगा महाराज
श्री श्याम धारी लाल
श्री चंद्रशेखर प्रसाद
श्री नारायण सिंह
डॉ धर्मेन्द्र ब्रम्हचारी शास्त्री
श्री कृपानाथ मिश्र
आचार्य रामलोचन शरण
श्री दिवाकर झा - पटना वि० वि० अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष ,  मैथिली आंदोलन के नेता
डॉ सुधाकर झा - प्रो०  पटना वि० वि०
प्रो० आर्मर साहब - जी० बी० कॉलेज , मुजफ्फरपुर
बनर्जी शास्त्री - संस्कृत विभागाध्यक्ष, पटना  कॉलेज
मैथिली साहित्य परिषदक स्थापना - खुल्लम खुल्ला समर्थन
क्रमशः .... में अपनेक संग चाही .....





Monday 21 July 2014

शिव- ताण्डव- स्तोत्रम्

जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् |
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वय
चकार चण्ड्ताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् || १||
जटाकटाहसंभ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी-
- विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावक
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम || २||
धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे |
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे( क्वचिच्चिदंबरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि || ३||
लताभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वध मुखे |
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि || ४|
सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः |
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः || ५||
ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा-
-निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् |
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः || ६||
करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके |
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक-
- प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ||| ७||
नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्-
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः |
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः || ८||
प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा-
- वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् |
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकछिदं तमंतकच्छिदं भजे || ९|
अखर्व( अगर्व) सर्वमङ्गलाकलाकदंबमञ्जरी
रसप्रवाहमाधुरी विजृंभणामधुव्रतम् |
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे || १०||
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस-
- द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् |
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः || ११||
स्पृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्-
- गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः |
तृष्णारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समप्रवृत्तिकः ( समं प्रवर्तयन्मनः) कदा सदाशिवं भजे || १२||
कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् |
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् || १३||
इदम् हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम्
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् || १४||
पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं यः
शंभुपूजनपरं पठति प्रदोषे |
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः || १५||
सम्पूर्ण शिव- ताण्डव- स्तोत्रम्

Monday 21 April 2014

Teachers and students show black flags to CM Nitish Kumar





किसी की रैली में भीड़ देखकर ये नहीं कहा जा सकता की उपस्थित जनता समर्थक ही है - इस बात का प्रमाण आपको इस विडिओ में मिल सकता है ध्यान से देखें 

मिथिलावासी थोड़ा इस पर भी विचार करे .......

Friday 18 April 2014

मैथिल मानलन्हि मैथिली के बात


मैथिली - यौ अरिकंचन के  पात पर पाइनक बून्द रुकै छै ?
मैथिल - नै !
मैथिली - ओकरा में एकटा विशिष्ट गुण  होइत छैक - जे ओकरा पर कतवो पाइन हरायब ओ एको बून्द नै राखत
मैथिल - तँ अहाँ  के की बुझैया जे हमरा में कोनो गुण नै अछि - हम ओकरो सँ दू कदम आगू छी ,कियो पि एच डी केने हेता अपना लेल
मैथिली - से त' ठीक कहै छी - मुदा हम सब कोनो घास -पात छी जे एहन गुण राखु , हमरा सब 
के सोचबाक चाही
मैथिल - से की हम असगरे सोचु
मैथिली - नै यौ - लेकिन अहाँ अप्पन जिम्मेबार छी,  की दुनिया के ?
मैथिल - चलु अहाँ कहै छी त हमहुँ दोसर मैथिल के बात सुनब, आ अहाँ के बात दोसरो के कहब - जे घास पात जँका बात व्यवहार छोरु, आ मनुक्खक श्रेणी में आबि एक दोसर के बात बुझबाक कोशिश करू.

संजय झा "नागदह"


दिनांक : १८/०४/२०१४ 

Wednesday 26 February 2014

शेरो - शायरी

जुवां सहम गयी  तेरी दीदार से - ऐसा लगा अमावस कि रात पूर्णिमा हो गयी 

जैसे ही कि तुमने जाने कि बात - वही दिन और वही रात हो गयी 


इंकार मुहब्बत कौन करे - जब डूबा दोनों प्यार कि सागर में 

पहले तुम निकलो तो तुम निकलो - दोनों डूब गए इस सागर में



हो आया प्यार उसे उससे - मगर प्यार नहीं हो पाया प्यार को उससे,

सबसे सब प्यार करे जरुरी नहीं - मगर उसकी जुबां से इंकार भी नहीं आया ता उम्र !!

Friday 14 February 2014

मैथिलक लेल पाग शोभा मात्र नहि, संस्कार सेहो थिक



दिल्ली,मिथिला मिरर-संजय झाः पागक संस्कार के शुरुआत अगर ब्राम्हण जाति सँ देखि त सबसँ पहिने एकर उपयोग उपनयन संस्कार के मड़ब ठट्ठी (अर्थात जाहि दिन मड़बा के बन्हबाक दिन होएत छैक) ताहि दिन सँ शुरू होइत छैक, ओहो नव नहि अपितु पुरान पाग सँ ,कारन कदाचित इ मानल जाएत होय कि बालक एखन पूर्ण संस्कार नहि पओलाह अछि तै पुरान पाग पहिराओल जाए. इ क्रम अपनयन संस्कार के समस्त विधि व्यवहार के संपन्न करैत केश कटाएलाक बाद स्नान सँ सुद्ध होएबा तक रहैत अछि. तदोपरांत जखन स्नान कए नव वस्त्र धारण कएल जाएत अछि तखन नव वस्त्रक संग - संग नव पाग सेहो वरुआ के पहिराओल जाएत अछि, इ बुझि जे आब ई एही योग्य संस्कार युक्त भय गेलाह, अर्थात पूर्ण शुद्धि गायत्री मंत्रोपरांत, पाग- बस्त्र धारण मंत्र के संग पहिराओल जाएत अछि.
पागक अनिवार्य दोसर चरण विवाह में देखल में जाएत अछि आ संग - संग ओही वर्षक वरक पावनि- तिहार में सेहो परन्तु ओही पाग में आलरी - झालरी जोड़ि क' व ओहुना. संस्कार युक्त पागक चरण मुख्य रूप सँ मात्र दू देखल यदा - कदा तेसर वा चारिम चरण होएत होए कही नहि. आब जौं देखि त बाँचल सम्मान, जे मिथिला में प्रायः लोक अपन आमंत्रित अतिथि वा सम्बन्धी लोकनि के विदाई स्वरुप भेंट में सम्मानित कय पाँचो टुक वस्त्र के संग - संग अपना ओही ठाम सँ पाग पहिरा बिदा करैत छथि, अर्थात अपना ओहिठाम ई पाग एकटा सम्मान सूचक अछि. ओना जौं देखल जाए त' माथ पर रखबा योग्य सबकिछु बहुतो भाषीय - प्रांतीय लोकक रीती रिवाज़ में सम्मान सँ जोड़ल गेल अछि, चाहे ओ सरदारजीक पगड़ी हो वा राजस्थानीक पगड़ी वा अन्यत्र कतहु कोनो आर नाम सँ, मुदा मिथिलाक सुप्रसिद्ध मैथिलक इ पाग छी माथ परहक ताज छी.
अगर उदहारण स्वरुप देखि त सबकियो अपना -अपना घर - आँगन में किनको ने किनको बजैत सुनने होयब जे माय के बेटी कहैत छथि - धिया रखिह तू नैहर के मान कि बाबू के पाग रखिह, पाग एकटा गर्भित सम्मान अछि जे कि नहियो माथ पर रहला सँ सदैव विदयमान रहैत छैक वा ओ बड़का पाग बाला छथि अर्थात सम्मानित व्यक्ति छथि, पाग दिअनु अर्थात सम्मान दिअनु. पागक हर रंग के अलग - अलग पहचान आ अर्थ छैक, जेना उपनयन आ विवाह में मात्र लाल रंगक पाग पहिरल जाइत अछि आ क्रीम रंग या पीअर या अन्य रंगक पाग सिर्फ सम्मान देबाक बास्ते उपयोग कएल जाएत अछि. मात्र बीसेक वर्ष पूर्व पागक खूब चलन छल, लेकिन ओहु समय में बुजुर्ग लोकनि पाग पहिरि सर- कुटुंब लग पहिर जाइत छलाह, अनिवार्य रूप सँ बरियाती में ताहि में त' कोनो मेष- वृषक बाते नए, परन्तु आब त पाग पहिर जएबा में कदाचित लजाइत छथि. एही एक - दू वर्ष में पुनः पागक प्रचलन के बढ़ाबा देखल जा रहल अछि, ओहु में एक ठाम हम अपना आँखि सँ देखल जे जतेक बुजुर्ग लोकनि छलाह से सब कियो पाग पहिर बरियाती आयल छलाह कदाचिद इ बुझी जे जाहि गाँव बरियाती जा रहल छि ओहि ठामक लोक दूर नहि कहय.
ओ बरयाती सुदई सँ नागदह श्री हेम चन्द्र झा "बौआजी" ओहिठाम आयल छलाह. ओना नागदह में सेहो भव्य स्वागत भेलनि ताहि में कोनो संदेह नहि. एकटा समय छल जखन पाग सभ मैथिल वर्ग आ वर्णक लोक समय - समय पर पहिरल करथि, तकर ब्राम्हण का कर्ण दुई जाति सँ भिन्न जातिक लोक क्रमशः सर्वथा बहिष्कार कए देल. एम्हर अबैत - अबैत त' आब से हाल भेल अछि उपनयन काल में बरुआ तथा विवाह - द्विरागमन काल में वर मात्र अनिवार्यतः पाग पहिरल करैत अछि. वरियातिक लेल पाग पहिरब विरल भए चुकल अछि. मिथिला में जतय पाग सँ एक दोसर के सम्मानित कएल जाईत अछि त' दोसर दिस संस्कार के सेहो पूर्ण करैत अछि. अतः इ कहबा में कोनो अतिश्योक्ति नहि जे पाग मैथिलक पहचान आ सम्मान मात्र नहि अपितु संस्कार सेहो अछि. अतः मैथिल समाज सँ आग्रह जे पुनः सब वर्ग आ वर्णक लोक एही सम्मान आ संस्कार युक्त पाग के अपन माथ पर राखि मिथिला के निखारक प्रयास करथि.

मिथिला में प्राण वियोग, विष्णु लोक जयबाक मार्ग

http://www.mithilamirror.com/news-detail.php?id=249

दिल्ली,मिथिला मिरर-संजय झाः जगत जननी भगवती मैथिली, मिथिला के धरती माता सँ सदेह प्रकट भेल छथि. ताहि हेतु भगवती सीता (मिथिलायां भवा) "मैथिली" नाम सँ विख्यात छथि. महाशक्ति भगवती मैथिली स्वतः मनुष्य रूप में भेलीह ताहि हेतु पिता के नाम जोड़वाक कारन देहयुक्त विदेह राजा जनक जी के चुनली. राजर्षि विदेह के द्वारा हलाकर्षण सँ भगवती सीता जी अवतरित भेलीह. अतएव राजर्षि विदेह भगवती सीताजीकें जनक आ हुनकर पौष्य पुत्री भगवती सीता जानकीक नाम सँ प्रसिद्ध भेलीह. महाशक्तिक अन्यन्य उपासक शाक्त मैथिल ब्राम्हण मैथिलीकें काली, दुर्गा, भैरवी, भुवनेश्वरी आदि - आदि नाम सँ अपन इष्ट देवता मानैत आवि रहल छथि. महाशक्ति मैथिली मिथिला कें माईट सँ अवतरित भेल छथि ताहि हेतु मिथिलावासी पार्थिव देव पूजा के सर्वोपरि मानैत आवि रहल छथि.

प्रायः मिथिला के प्रत्येक घर में प्रातः सायं अनावरित माईट के पिंड स्वरुप भगवती के पीड़ी के पूजा होइत अछि. गहवर में भगवती बिसहरा (सर्प देवता) के पीड़ी सेहो माईट के देखल जाइत अछि आ जे सब सलहेस के पूजा करैत छथि हुनका सब के घर में सेहो माईटक पीड़ी देखल जाइत अछि. अकाल या महामारी आदि दैवीय प्रकोप के समय सेहो शान्ति के लेल लाखक - लाख संख्या में पार्थिव शिवलिंगक पूजा होइत अछि चाहे गाँव में नर्मदा शिवलिंग कियाक ने होय अर्थात शिव मंदिर रहलपरान्तो. मिथिला के लोक पार्थिव शिवलिंगक पूजा बहुत बेसी करैत छथि कियाक त' एहन धारणा अछि जे मनुष्य शरीरक निर्माण क्षिति, जल, पावक, गगन, समीर इ पंचतत्व सँ भेल अछि जाहि में आधा तत्व क्षिति आ आधा तत्व पृथ्वी अछि. एही पृथ्वी तत्व सँ मुक्ति के लेल मृतिका महादेव या शिवलिंग बनाक पूजा अर्चना करैत छथि ओकर पाछा भाव इ जे मनुष्यक शरीर में मृतिका वाला भाग मृतिकामय शिव के समर्पित कएल जाय आ बांकी चारि तत्व बाँचि जाय जाहि सँ फेर मनुष्य शरीरक निर्माण नहीं भ सकय आ मानव शरीर सँ छुटकारा भेट जाए.
इ एकटा प्रमुख कारन अछि जे मिथिला में मृतिका शिवलिंगक पूजा खूब होइत अछि. गाछी या नदी के किनार वा जाहि ठाम चिता में अग्नि देल जाइत अछि ओहि ठाम चिता के पीड़ी बनेयबाक प्रथा सेहो विशेषक मिथिला में अछि. मिथिला में वयोवृद्ध भय मरणासन स्थिति में अर्थात अंत समय में भूमिदान करबाक विधान सेहो महामाया मैथिली के प्रति स्नेह अछि. पुराण में प्रासंगिक कथा के अनुसार - धनुष यज्ञ के बाद भगवान् राम अपन धर्म पत्नी सीता के द्विरागमन के दिन (अयोध्या प्रस्थान ) समस्त मिथिला के चारु वर्ण के नर - नारी अपन - अपन मनोरथ के भावानुसार नाना प्रकार के उपहार यथा ठकुआ, चूड़ा, दही, केरा, मछली, मखान, टिकुली, सिंदूर, फूल-माला आदि अपन पुत्री के विदाई उपकरण सामग्री सँ जनकजीकेँ राजधानी के सजा देने छल.प्रायः इ प्रकरण आजुक समय में सेहो अछि जे अपन समाजक लोक सेहो बेटी के विदाई करैत छथि अंतर एतवे जे जिनकासँ जिनका होइत अछि, स्तर थोड़ेक छोट भ गेल अछि. विदाई के समय मैथिली के विछोह में जनक राजपरिवार के संग-संग समस्त मिथिलाके नर - नारी ओहिना बिलखि - बिलखि क कानि रहल छल जेना लोक अपन पुत्री के लेल कनैत अछि.
मिथिलावासीकेँ एहन आत्मविभोर देखि मैथिली बहुत प्रभावित भ गेलीह आ मोने मोन सोच में पड़ी गेलीह, जे आब हम मिथिला सँ जा रहल छि तैं मिथिलाक समस्त जीव - जंतु, पशु - पक्षी, नर - नारी, हमर विछोह में सिसकि -सिसकिक कानि रहल अछि. लेकिन हमरा महामाया बुझितो बेटी बुझि कियो किछु मांगी नहि रहल अछि. इ सब बात सोचैत भगवती धरती माता के पीड़ी के प्रणाम क धीरे - धीरे खरखरिया (कहार) में बैस गेलीह. मिथिला नरेश के आज्ञा भेटलाक बाद अयोध्या के कहरिया जखन कहार उठाबक प्रयास केलक त कहार टस सँ मस नहि भेल. धनुष यज्ञ के बाद ई दोसर मैथिली के चमत्कार छल , इ देखि मिथिलावासी प्रसन्न भ गेल - "भूप सहसदश एकहि बारा" वोहन धनुष जे एक आंगुर सँ उठा लैत छल, ओहन बेटी के अयोध्या के कहरिया केना उठा लेत ? इ विषय हास्य में उद्घोष होमय लागल. समस्त नर - नारी गर्व सँ ताली बजावय लागल.
इ देखि अयोध्यापति महाराज दशरथ आवेश में आवि महावल मल्ल के सीता के सवारी उठावक आज्ञा देलनि. लेकिन मर्यादा पुरोषत्तम भगवान् श्री राम स्वयं मुस्कुराइत खरखरिया के नजदीक आवि सीता सँ पुछलाह - ' इ फेर दोसर चमत्कार किमर्थ ! इ सुनि जनकनंदनी मैथिली मिथिलावासी के तरफ आंगुर सँ इशारा करैत बजलीह - " प्रभु आई हम मिथिला के समस्त जीव - जंतु, पशु - पक्षी, नर - नारी, के स्नेहश्रु में बहि रहल छि एकर सबहक उद्धारक बनीयौ. बिदाई के समय आई हम मिथिला के बेटी धनुषयज्ञ विजयी अहाँ सँ इनाम स्वरुप वरदान मंगैत छि कि " हमर मिथिला के धरती पर जिनकर प्राण वियोग होई, वो बिना कोनो तरहक रुकाबट के जीवन सँ मुक्त भ विष्णु लोक में निवास करैक " . इ सुनिते भगवान् श्री राम कहलाह तथास्तु . आ तहने उठी सकल मैथिलीक खरखरिया. इ कहबा में कोनो अतिश्योक्ति नहि जे मिथिलाक प्रत्येक आचार व्यवहार शास्त्र - पुराण सँ संगत अछि.
(मैथिली अनुवाद डॉ .कृष्ण कुमार झाक लिखल पुस्तक सँ आ किछु - किछु हमरा द्वारा सेहो जोड़ल गेल अछि.)

http://www.mithilamirror.com/news-detail.php?id=249

Wednesday 22 January 2014

          सब स पहिने दिल्ली कार्यक्रम के ले तमाम मिरानीसे सेनानी के हार्दिक शुभकामना, मिथिला राज्य के लेल प्रयास जाहि स्तर पर मिरानीसे द्वारा सम्भव अछि शायद कोनो दोसर मंच सा सम्भव नहीं अछि, पिछला एक दू साल में जे कोनो कार्यक्रम, जन जागरण और धरना प्रदर्शन वा नेतागण नेतागण संग भेट वार्ता काबिलेतारीफ छल।

      आई मिथिला नहीं सम्पूर्ण देश और विदेशो में भी अलग मिथिला राज्य के मांग (मिरानीसे) द्वारा जे उठाओल जा रहल अछि से चर्चित अछि, संगहि एक टा बात (जे गंभीर अछि) जन समर्थन, और एक आवाज पर इकठ्ठा भेनाई महत्वपूर्ण अछि (उदाहरण : - जाई जगह जगह पर अपन मिरनिसे कार्यकर्ता प्रदर्शन करबाक लेल इकठ्ठा भेल डेल्ही पुलिस द्वारा हटा देल गेल और देश के सब स महत्वपूर्ण जगह पर १४४ के बाबजूद दिल्ली c. m द्वारा अपन समर्थक संग दू दिन तक भांगरा के कार्यक्रम भेल से पूरा देश देखलक और संगहि पुलिस और तमाम केंद्र सरकार के मंत्रीगण सेहो सहभागी भेल, कारण - धरना कोनो पार्टी प्रायोजित छल ताई लेल केंद्र सरकार सेहो अपन वोट के खातिर उपयुक्त कार्यवाई करय में हमेशा बचय के कोशिश कयलक) मतलब साफ अछि जे अगर धरना प्रदर्शन राजनीतिक होयत त सरकारो गम्भीरता स एक्शन लई छै ओना अगर कोनो आम धरना होयत ता याद आबैत अछि (बाबा रामदेव के रामलीला). अलग मिथिला राज्यक मांग शायद ही कोनो पार्टी एखुनका परिदृश्य में पूर्ण रूपेण समर्थन करत।
            भाजपा सांसद कीर्ति झा जी द्वारा समर्थन स्वागत योग्य अछि, 

एक टा सुझाव/निवेदन/जनाकांक्षा … जे किया नै मिरनिसे के एक राजनीतिक रूप देल जाय लगभग सब पदाधिकारी (मिरानीसे के) एक जन प्रतिनीधि के हिसाब सा कार्यरत छि और संगहि राजनीतिक परिवेश स छि ज्यादा तकलीफ नहि होयबाक चाही कारन राजनीतिक पार्टी के अपन एजेंडा होयबाक चाही जे मिरनिसे के जन्म एक महत्वपूर्ण विषय के पूरा करबाक लेल भेल अछि (अलग मिथिला राज्य) ई प्रमुख मुद्दा होयबाक चाही जन समर्थन जरूर जरूर भेटत। जमीनी स्तर पर हर मैथिल के अई संग्राम में सहभागिता लेल उत्साहित करबाक जरुरत अछि संगहि मिथिलांचल के हरेक गाव और शहर में सदस्यता अभियान चलेबाक जरुरत अछि.
         

           ओना बिना राजनीतिक भेने सेहो सफलता भेटइ छै मुदा शनैः शनैः (एक बात और अगर झारखण्ड, विदर्भ, तेलंगाना, पूर्वांचल या और कोनो राज्यक मांग गैर राजनीतिक होईत त शायद अहि पर कार्यवाई सम्भव नहीं छल, झारखण्ड, तेलंगाना बनी गेल शीघ्रहि विदर्भ और उ.प में सेहो छोट - छोट राज्य बनी जायत कियाक ता हर पार्टी अपन नफा नुकसान देखति कार्यवाई करैत अछि से त आहाँ सभ लोकनि ज्यादा समझदार/जानकार छी). 

अंत में - उपरोक्त विचार किछु ग्रामीण जनमानस और हमर अपन अछि हमर विचार स अगर किनको तकलीफ या ठेस पहुँचनि त हैम क्षमाप्रार्थी छी। — 

Monday 20 January 2014

कंस्टीच्यूशन क्लब में संजय झा “नागदह” क दू शब्द

मिथिलानगरी नमस्तुभ्यं ,नमस्तुभयं मिथिलावासिने 
माता सीता नमस्तुभ्यं , जन्म भूमि - कर्म भूमि नमस्तुते !!
एही सभागार में बैसल समस्त मिथिला राज्यक माँग के समर्थित अतिथि, मित्र लोकनि एक बेर फेर अपने लोकनिकें संजय झा, नागदह निवासी आ मिथिला राज्य निर्माण सेना के तरफसँ स्नेह युक्त चरण रज जे अपने लोकनि एहिठाम राखल ताहि हेतु अपने लोकनि के हार्दिक अभिनन्दन आ स्वागत करैत छि.
हम अपने लोकनि के विशेष किछु नहीं कहब, कारन, हमर सबहक एही संगोष्ठी में राजनीतिक आ सामाजिक स्थिति पर प्रकाश देबाक वास्ते विशेष वक्ता लोकनि अपन  - अपन वक्तव्य सँ मिथिला राज्य आंदोलन के दिशा आ दशा के प्रकाशित करताह. हम सिर्फ एतवे कहए चाहब जे जाहि मिथिलासँ  न्याय दर्शन लिखल गेल ओकरे संग अन्याय होए ? दिशा हमर सबहक एखन धरि बाल्य अवस्था में अछि त दशा कि रहत ? 
बहुतो राज्य भारत में भाषा - विशेष के कारन बनल जाहि में आसाम त' प्रमुख अछि, ओना हमर आलेख -मिथिला राज्य क्यों ? मिथिला राज्य निर्माण सेना के वेब साईट डव्लू डव्लू डव्लू डॉट एम आर एन एस डॉट इन पर देल अछि पढ़बाक प्रयत्न करब.
जावत धरि मिथिला में एकटा आवाजक गूंज जे 'हमरा चाही मिथिला राज्य' के नहीं होएत तावत धरि दशा उपयुक्त नहीं होएत - तैं, दिशा जौं हमसब ठीक करब त अपने आप दशा ठीक होएत आ माँग स्वीकार करबा लेल सरकार बाध्य होएत. ओना मैथिल जौं एकमत भ' सिर्फ ठानि मैथ, त' सालक - साल समय लगबाक त बात दूर एक साल में राज्य भेट सकैत अछि - हमर मैथिल एतेक प्रबुद्ध त' छथिहे. एही पर प्रबुद्ध लोकनि के सोचबाक जरुरत छन्हि. कारन एहन कोनो पार्टी नहि, विभाग नहि, मंत्रालय नहि, जतय मिथिलाक पुत्रक वर्चस्व नहि हो. 
संगे - संग हम एकटा सम्बाद देबय चाहैत छि, जे चाहे कतहु राहु , कोनो देश में , राज्य में , गाँव में, जतय मातृभाषा लिखय या लिखवए पड़ैत अछि, मातृभाषा मैथिली लिखल आ लिखाएल करू.
समस्त मिथिला क्षेत्रक लोककें इ भावना जगबय पड़तनि जे हम मिथिला के छि - हमरा मिथिला राज्य चाही - कारन हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई - जे बसती मिथिला ओ मैथिल भाई. एही मंत्र सँ एकजूटताक मिशन तैयार कएल जाए.
दिल्ली, मुम्बई, यत्र - कुत्र , प्रवास में जे वास करैत छथि हुनका रोजगार छनि आ अपन मिथिला में किछु नहि.बहुतो मैथिल के माय बौआ के अयबाक आस लगेने रहैत छथि, प्रवास में एतेक जगह नै, ओतेक आय नहि, जाहि सँ सबके संगे राखी सकथि. मिथिला में सिर्फ  रोजगार नहि होबाक करने - दाय के श्राद्ध में, बाबा मरलाह तखन, मुंडन में, उपनयन में, विवाह में एही क्रम में कोनो ना गाम जा पबैत छथि आ बुजुर्गक  सेवा नहि क पबैत छथि - जाहि सँ  हमर सबहक बुजुर्ग के सेहो बहुत कष्टक सामना करय पड़ैत छनि. सोचु कि हमरा सबके मिथिलाक समग्र विकाश के संग - संग मिथिला राज्य चाही ने ? जाहि सँ अपन मातृभूमि आ अपन माय के गोद में रहि सकि.
बस एतवे आर किछु नहि बहुत वक्ता लोकनि छथि, अपन - अपन विचार देताह - बस एकता बढ़ाऊ,
भायचारा बढ़ाऊ,वाज एक करू.

चाहे अहाँ रहु दिल्ली मुम्बई,

देश, विदेशक कोनो कोण में ,

मैथिल भेटिते, मैथिली बाजू टन ' मिठगर बोल में.

जाहि सँ आपस में लगाव बढ़ए कड़ी सँ कड़ी जोड़ैत रहु-   

बस एक संकल्प ध्यान में , मिथिला राज्य होई संबिधान में.

धन्यबाद .
अस्तु !
संजय कुमार झा 'नागदह '

दिनांक : १९ जनवरी २०१४