Friday 27 December 2013

नागदह में मनाओल गेल विद्यापति आ डॉ सुभद्र झाक स्मृति पर्व



फोन पर भेल बात-चितक माध्यमसँ आदरणीय समाज सेवक, बच्चा, नवयुवक आ वृद्धजन के स्नेह परसनिहार, “डॉ सुभद्र झा विद्यापति विचार मंच” के संयोजक श्री नृपेन्द्र झा "नेता जी " नागदह सँ इ जनौलनि जे विना कोनो आडम्बर के २५ दिसंबर २०१३ क' विद्यापति आ डॉ सुभद्र झाक स्मृति पर्व समस्त ग्रामीण एकत्रित होइत करीब तईस- चौबीस वर्षक बाद एही बेर मनौलन्हि.
मंचक अध्यक्षता केलनि श्री कृष्णदेव झा विशिष्ट वक्ता छलाह मिथिलाक प्रवुद्ध मंच उद्घोषक नागदहक भूमि पर जन्म लेल आदरणीय श्री बुद्धिनाथ झा मुख्य वक्ता छलाह श्री अशोक झा , श्री महारुद्र झा , श्री दिवाकर झा, श्री लेखनाथ झा , श्री नन्द कुमार झा आ धन्यवाद ज्ञापन केलन्हि श्री मिथिलेश झा.  गामक बचिया लोकनि मैथिली लोकगीत आ नृत्य सँ समारोह में दूर- दूर सँ सेहो आएल श्रोता -दर्शक लोकनिकेँ बिना रस्सी बान्हि मंत्र मुग्ध केलीह.

संग- संग नेता जी कहलन्हि - जे आब इ प्रयास कएल जाएत जे प्रतिवर्ष निरंतरता पूर्वक समारोह मनाओल जाएत.    
  

Friday 20 December 2013

नागदह पोखड़िक उद्भव आ वर्तमान

जतवे पुरान अछि नागदह गाम ओतवे पुरान अछि नागदहक पोखड़ि. नागदह बलाइन एके पंचायत में पड़ैत अछि .हालाँकि स्वर्गीय डॉ० सुभद्रा झाक लिखल एक गोट पोथीक संदर्भानुसार बलाइन गाँओक प्राचीन नाम छलैकबएनागढ़’ तथा तकर सटल नागदहक रेवेन्यू नाम  थिकैकमालगढ़’. नागदहक पोखड़िक सम्बन्ध में जे किछु बुजुर्ग लोकनि सँ  ज्ञात अछि प्रायः एही तरहे अछि:-
एही गाँव में कियो दू वा तीन भैयारी रहथि. जखन हुनका लोकनिकेँ आपस में यथा - जात के बंटवारा  होमय लागल दू वा तीन ठाम बाँटल जाय स्वतः तीन वा चारि ठाम जायल करैक. क्रम प्रायः कतेको बेर भेल. गामक लोककेँ बड़ा आश्चर्य लगलन्हि जे भाग / कुड़ी जखन दू वा तीन ठाम लगैत अछि एक भाग स्वतः कियाक बढ़ी जाइत अछि.तखन एकगोट विद्वान -वुजुर्ग हाथ जोड़ी निहोरा केलाह जे यदि एही में किनको भाग अछि जे अदृश्य छि कृपाक' अपन स्थान पर आबि वा प्रकट होय. कहला उपरान्त जे भाग बढ़ी जायल  करैक ओहि भाग पर फुफकार मारैत नाग सांप साक्षात् विराजमान भय बैस गेलाह.  

ओहिराईत किनको स्वप्न भेलनि जे हमर भागक भूमि पर पोखड़ि होयबाक चाहि. तैं ओही भागानुकुल पोखड़ि अछि, मिथिला में सुनैत छि जे कतेको पोखड़ि दैत्यक खूनल अछि एकरो सम्बन्ध में कियो - कियो बजैत छथि परन्तु स्पष्ट नहि. पोखड़ि मिथिलाक कतेको विशाल पोखड़ि में सँ एक अछि. करीब २० एकड़ जकर खाता नम्बर ३७७ आ खेसरा नम्बर ९९३ ई कहिया केना पंजीकृत भेल से त' सर्वे कार्यालय सँ पता कराय पड़त. ई बात कोन समय के अछि से एखन धरी स्पष्ट रूपे ज्ञात नहि. ओना लोकानुकूल एही घटना के बाद एही गामक नाम नागदह पड़ल. एही मान्यता के आधार मानैत जे ई पूर्ण रूपे नागडीह अछि. वर्तमान में  नागदह अछि अर्थात नागक डीह.
इ बात सत्य अछि जे एही गाम में नागक संख्या बहुत छल आ अछि हम अपने साक्षात् कतेको दिन नागकेँ जोड़ खेलाइत देखने छी. जेना स्वर्गीय डॉ० सुभद्रा झा अपन एक गोट पुस्तक में लिखने छथि ताहि अनुकूल नागदह नाम सँ पहिने कदाचिद एही गामक नाम मालगढ़ छल. तैं ई कहबा में कनमो मात्र अतिश्योक्ति नहि होयबाक चाही, जे जहियासँ गामक नाम नागदह पड़ल ताहि समयसँ ई पोखड़ी उद्भव अछि. कदाचिद कहीं एहन नै होई जे नागदह गामक उम्र ई पोखड़ी संग जुड़ल हो. 
एक महातिचारक अन्त भेला पर शुद्धिक समय विकराल महा अकाल पड़ल छल. सौराठ सभामें आगत ब्राम्हण लोकनकिकें ग्रासक कोनोटा व्यवस्था नहि करबाक परिस्थितिमें महाराज माधवसिंह सदिच्छाक अनुसार प्राप्त स्मरणीय मोदी झा समस्त सभैताक भोजनक व्यवस्था कएल. तथा हुनके इच्छानुसार ओहि साल सभा सौराठ में नहि लगाए नागदहमे पोखड़िक पुवरीआ भीड़ पर लगाओल गेल, इ बात हमरा स्वर्गीय डॉ सुभद्रा झा कहने छलथि. 

नागदहक पोखड़ी ओहि परोपट्टा में सबसँ विशाल पोखड़ि अछि. सुनैत छी, एही पोखड़ि सँ पैघ 'बभनदई' बासोपट्टीक पोखड़ि अछि. नगदहक पोखड़ि के करीब २० वर्ष पहिने चारु कात भीड़ छल,परन्तु आजुक समय में प्रायः चारु कात घर आँगन अछि विस्तृत भेल जा रहल अछि. एही पोखड़िक जलक स्रोत दू टा थिक, एक प्राकृतिक रूपे वर्षा दोसर कमला सँ निकलल नहर. ओहि में आयल बाढ़ि सँ नहरक माध्यम सँ एही पोखड़िक जलाशय उम-डाम जाईत अछि.  तदोपरांत बाढ़िक खतरा नागदह पर नहि पड़ैत छैक,गामक आवासीय भागक भूमि उँचस्थ छैक. एकटा समय छल जखन पोखड़िक जलाशय कम ' जाइत छल , गामक गरीब वर्ग लोकनि थोड़ेक -थोड़ेक  पोखरिक जगह छेक ओहि में जीविकाक लेल मडुआ समयानुसारे किछु -किछु उपजाबैत छलाह
बलाइनक मलाह लोकनिकें लेल पोखड़ि जीविकोपार्जनक प्रमुख माध्यम छलनि. पोखड़ि देखबा में कोनो विशाल महानदीसन बुझना जाइत छल. सालोभरी मलाह लोकनि जाल महाजालसँ पोखड़ि सजाऔने रहैत छलाह.कखनो मलेडिया साफ अभियान कखनो माँछ मारल जयबाक इंतजाम.
भरिदिन  गामक बूढ़-बुजुर्ग,युवा, बच्चा पोखड़ि में नहाइत चुभकैत रहैत छलाह. माल - जाल सेहो पोखरिक शोभा बढ़ाबईत रहैत छल. आइयो धरि गामक विवाह,उपनयन,मुंडन शुभकृत्य पोखड़िसँ  जुड़ल कर्म एही पोखड़ि सँ होइत अछि.  कदाचिद  नागदह पोखड़िक उद्भव सँ एखन धरि गामक लोककेँ सम्पूर्ण पोखड़ि सँ  सम्बंधित कार्य एही पोखरी सँ पूर्ण होइत आएल अछि
पोखड़ि नागदह लेल सदा शुभ शुभाशीष दैत रहैत छथि. ग्राम देवता, स्थान देवता नाग देवता सदा अपन एही ग्रामीण पर स्नेह बनेने रहैत छथि.  एही पोखरिक दक्षिण-पश्चिम कोन में भव्य नागनाथ महादेवक मन्दिर सेहो स्थापित अछि. जकर विधिवत स्थापना १९९८ में भेल,यदपि शिवलिंग स्थान बहुत पहिने सँ ओहिठाम छल.
पोखड़िक बर्तमान हालात कहबा सुनबा योग्य नहि अछि. जाहि पोखड़िक देख - भाल कतेको सौ -साल सँ नहि भेल हो तकर हाल कि कहल जा सकैछ ? मात्र सोचलापरान्त मानसिक पटल पर आवीगेल होयत. कहियो कोनो सरकार एही पोखड़िकें जीर्णोद्धारक वास्ते डेग नहि उठेलथि. एहना स्थितिमें पोखड़िक गहराई कम भेनाइ स्वाभाविके थिक. पोखड़ि प्रायः अपन रकवा में ३० % (तीस भाग ) भरि चुकल अछि, कतेक शीघ्र भरि जाएत से कहल नहि जा सकैछ, कारन अतिक्रमण बहुत जोर शोर सँ ' रहल अछि. जे लोक जाहि दिशा में  छथि ओहि भाग पोखड़ि भरनाई शुरू ' चुकल छथि, कार्य युद्धस्तर सँ ' रहल अछि. कारन पोखरिक गिनती  किनको व्यक्तिगत नहि अपितु सरकारी में होइत अछि, तै रोकत के, बाजत के थिक वर्तमान में नागदहक पोखड़िक स्थिति.
मिथिला क्षेत्र में बिहार सरकारक उपेक्षा सतत रहल अछि, परन्तु एही दिशा में मिथिलाक विद्वतजनक आँखि प्रायः एखनो धरी बन्न अछि. जौं अपन आँखि नहि फूजल रहत दोसर सँ कि आस ? मिथिलावासी लोकनि सँ आग्रह करैत छी जे अपन धरोहर के बचाबक बास्ते हम सब आगा बढ़ि, नहि ' दिन दूर नहि जखन हमर सभक आदि गुरु बाबा विद्यापतिक लिखित पंक्ति ' पग पग पोखड़ि पान मखान ,सरस बोल मुस्की मुस्कान' भविष्य में झूठ सावित ' जाएत. कारन जखन पोखड़ि नहि त’ मखान कतए सँ ? अस्तु

संजय कुमार झा 'नागदह '
दिनांक : २० /१२/ २०१३
दिल्ली

फोन : ८०१०२१८०२२     






Tuesday 17 December 2013

मिथिला राज्य आंदोलन के निमित्त, दु-शब्द - संजय झा “नागदह”

मिथिला राज्य आंदोलन के निमित्त, दु-शब्द - संजय झा “नागदह” 5 दिसंबर २०१३, जंतर मंतर, नई दिल्ली
मिथिलानगरी नमस्तुभ्यं ,नमस्तुभ्यं मिथिलावासिने 
माता सीता नमस्तुभ्यं , जन्मभूमि नमस्तुते 
राम जी लक्ष्मण जी सँ कहने छथि:-
अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते, जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी
एहन सुंदर लंका नगरी जे स्वर्ण सँ बनल अछि मुदा हमरा कनिको नइ सोहाइत अछि कियाक त जन्मदाता आ जन्मभूमि त स्वर्गो सँ बढ़ि क अछि आ वोहू मे जतय माँ लक्ष्मी, सरस्वती, आदिशक्ति माता सीता के रूप मे पृथ्वी सँ अवतरित भेलीह ओ जगह अछि मिथिला
सबहक इच्छा होइत छनि जे मरणोपरांत स्वर्ग के प्राप्ति करी जखन कि हमारा अनुकूले जे सब पूर्व जन्म मे पुण्य अर्जित केने छथि हुनके जन्मटा एही मिथिला नगरिया मे होइत छनि,कारन कि आदिमाता अन्यत्र अवतरित भ सकैत छथि ? ओ एतहि जाहि भूमिमार्ग सँ अवतरित भेलीह पुनः ओहि मार्ग सँ पृथ्वी मे समाहित भ गेलीह
एहन सुंदर मिथिलाधाम में जन्म लेलापरान्तो हमरा लोकनिकेँ मिथिलावासी रहितहुँ बिहारी कह पड़ैत अछि हमर सभक पूर्बज सेहो बहूत प्रयास केलाह आ सतत सेहो लागल छथि मुदा एखनधरि प्रयास असफल रहल  हमर सभक जे संस्कार अछि जे ताहि अनुकूल अपन पूर्वजकेँ अर्थात जे हमरा सँ श्रेष्ठ  छथि वा छलाह हुनक प्रयास के सत-सत नमन करैत हमारा लोकनिक ई  कर्तव्य अछि, जे अपन  देवता, पितर, सभक अधूरा आस वा टुटल आसकेँ पूरा करबाक यथासाध्य कमरतोड़ मेहनत क' अपन इतिहास, भूगोल, संस्कृति,संस्कार,विधि,व्यवहार,पौराणिक धरोहरकेँ क्रमबद्ध रूपे प्रशाशनिक तरीका सँ रक्षा करवाक लेल यथासाध्य सामूहिक रूप सँ प्रयास करवाक चाही   

        

Friday 13 December 2013

१९ जनवरी, २०१४: मिरानिसे राष्ट्रीय अधिवेशन प्रथम

कन्स्टीच्युशन क्लब, नयी दिल्ली।

सबसँ पहिने मिथिला राज्य निर्माण सेना द्वारा आयोजित एहि पुनीत कार्यक्रमकेर अपार सफलता लेल शुभकामना दैत छी। एहि कार्यक्रमकेर एक अवधारणा पत्र राखि पूर्ण जानकारी रखबा लेल सेहो निवेदन करैत छी। 

कोनो बौद्धिक कार्यक्रम लेल 'अवधारणा'क महत्त्वकेँ आत्मसात करब जरुरी छैक आ ताहि अनुरूपे कार्यक्रमकेर प्रारूप विकास कैल जाइत छैक। अत: मिरानिसे मे वर्तमान नेतृत्व धारा एहि लेल प्रबुद्धजनकेर समूहकेँ कार्य बंटवारा जरुर केने हेताह से आशा करैत अवधारणा अनुरूप जनसहभागिताक गुंजाइश, संभावना आ सार्थक परिणामक आशा कैल जा सकैत छैक। 

मिथिला लेल कैल जा रहल हरेक प्रयास सारगर्वित एवं संदेशमूलक भऽ रहल अछि। २०१३ ई. एहि दशकोंसँ चलि रहल आन्दोलनकेँ एक नया आयाम सेहो देलक अछि, लेकिन काज एखनहु बहुत करब बाकी अछि आ हो-हो'बाजीसँ बचबाक आवश्यकता सेहो ओतबी अछि। जखन कि मिरानिसे एक नीति-नियमसँ बान्हल युवा-विशेष संस्थारूपमे जन्म लेलक आ जनमिते एक सऽ एक सान्दर्भिक - प्रासंगिक कारय करल लागल; किछुए दिनमे अपार लोकप्रियता सेहो हासिल केलक; मुदा गूढ आवश्यक मूल कार्य - बुनियादी जरुरत शायद आइ धरि ओहिना रिक्त अछि। न कोनो कार्यालय, न स्थायी सचिव, न संदेश प्रवाह लेल स्थायी उपाय.... एक एसोसियेट अफ पर्सन रूपमे सेहो ई बहुत पिछडल अछि आइ धरि। 

अत: वर्तमान नेतृत्वसँ आशा जे मात्र नाम लेल कन्वेन्शनकेर खानापुर्ति नहि कय ओकरा उचित संदेशमूलक आ सार्थक बनेबा लेल नीक गृहकार्य करैत आगू बढैथ।

हरि: हर:!!

Wednesday 11 December 2013

Mithila Against BIHAR

 बीते 100 सालोँ मे मिथिला के प्रति बिहार का रवैया :

1. बिहार मेँ दो एयरपोर्ट गया और पटना मेँ, पूर्णियामे नाम
मात्र का एयरपोर्ट। जब बिहार मे किसी जगह एयरपोर्ट
नहीँ था उस समय दरभंगा मे था पर आज ? पटना एयरपोर्ट
पर उतरने वाले अधिकतर यात्री उत्तरी मिथिला केँ होते हैँ पर
उत्तरी मिथिला मे एक भी एयरपोर्ट नही जहां से लोग
यात्रा कर सकेँ, क्योँ ?

2. बिहार के राज्य गीत और राज्य प्रार्थना मेँ
   मिथिला को कोइ जगह नहीँ क्या मिथिला,बिहार मेँ नहीँ है ?

3. बिहार के गया और मोतिहारी मेँ नये केद्रीय
विश्वविद्यालय बनेँगेँ, क्या पूर्णिया/ मुजफ्फरपुर इस लायक
नहीँ हैँ ?

4. बिहार सरकार ने आजतक भारत सरकार से मिथिला मे
बाढ़ की समस्या को नेपाल के समक्ष उठाने
को नही कहा है, क्योँ ? उत्तरी मिथिला मेँ बाढ़ का निदान
नहीँ हो सका है, क्योँ ?

5. आजतक कोशी पर डैम नहीँ बन सका है अगर ये डैम बन
जाता तो मिथिला बिहार को 24 घंटे बिजली उपलब्ध
कराता! क्या ये नहीँ बनना चाहिये ?

6. बिहार के पटना, गया और हाजीपुर मेँ लो फ्लोर बसेँ
चलेँगी क्या दरभंगा/ भागलपुर/कटिहार इस लायक नहीँ हैँ ?

7. मैथिली बिहार की प्रमुख भाषा है, मैथिली बिहार
की एकमात्र क्षेत्रीय भाषा है जो भारतीय संविधान
की अष्टम अनुसूचीमे शामिल है तो फिर आज तक इसे बिहार
की दूसरी राजभाषा का दर्जा क्योँ नहीँ ? यहां ये
बताना जरुरी है की मैथिली नेपाल की द्वितीय
राष्ट्रभाषा है!

8. बिहार सरकार भोजपुरी फिल्मोँ को कर मेँ छूट देती हैँ पर
मैथिली फिल्मोँ को नहीँ, क्योँ ?

9. मिथिला मेँ आजतक प्रारंभिक शिक्षा मैथिली मेँ
देनी नहीँ शुरु की गयी,क्योँ ?

10. बिहार सरकार उर्दू, बांग्ला के
शिक्षकोँ की नियुक्ति कर रहीँ पर मैथिली के
शिक्षकोँ की नहीँ, क्योँ ?

11.  जो IIIT दरभंगा के लिए था उसे नीतीश कुमार छीन कर
बिहटा स्थानांतरित कराये, क्योँ ? 

12. 2008 के कोसी पीड़ितोँ को आजतक न्याय नहीँ मिल
सका है, क्योँ ? 

13. मिथिला क्षेत्र मे नये उद्योग धंधे लगाने की बात
तो छोड़िये जितने भी पुराने जूट मिल, पेपर मिल, चीनी मिल
आदि थे वे सारे क्योँ बंद हो गये ?

14. नीतीश कुमार मिथिला क्षेत्र मेँ होने वाले हर इक
सभा मेँ ये कहते हैँ की मिथिला के विकास के बिना बिहार
का विकास नहीँ हो सकता तो फिर उन्होँने मिथिला के
विकास के लिए अब तक क्या किया ?

   कितने कारण गिनाऊ, बिहार के मिथिला के प्रति उदासीन
के ? अब तो बिहार पर विश्वास ही नहीँ है, बीते 100
सालोँ मे धोखा, धोखा और सिर्फ धोखा!
 
     अब आप बताइये बिहारी मित्रोँ क्योँ न करु पृथक
मिथिला राज्य की मांग ?"

बीते 100 सालोँ मे मिथिला के प्रति बिहार का रवैया :

Mithila Against BIHAR


 बीते 100 सालोँ मे मिथिला के प्रति बिहार का रवैया :

1. बिहार मेँ दो एयरपोर्ट गया और पटना मेँ, पूर्णियामे नाम
मात्र का एयरपोर्ट। जब बिहार मे किसी जगह एयरपोर्ट
नहीँ था उस समय दरभंगा मे था पर आज ? पटना एयरपोर्ट
पर उतरने वाले अधिकतर यात्री उत्तरी मिथिला केँ होते हैँ पर
उत्तरी मिथिला मे एक भी एयरपोर्ट नही जहां से लोग
यात्रा कर सकेँ, क्योँ ?

2. बिहार के राज्य गीत और राज्य प्रार्थना मेँ
   मिथिला को कोइ जगह नहीँ क्या मिथिला,बिहार मेँ नहीँ है ?

3. बिहार के गया और मोतिहारी मेँ नये केद्रीय
विश्वविद्यालय बनेँगेँ, क्या पूर्णिया/ मुजफ्फरपुर इस लायक
नहीँ हैँ ?

4. बिहार सरकार ने आजतक भारत सरकार से मिथिला मे
बाढ़ की समस्या को नेपाल के समक्ष उठाने
को नही कहा है, क्योँ ? उत्तरी मिथिला मेँ बाढ़ का निदान
नहीँ हो सका है, क्योँ ?

5. आजतक कोशी पर डैम नहीँ बन सका है अगर ये डैम बन
जाता तो मिथिला बिहार को 24 घंटे बिजली उपलब्ध
कराता! क्या ये नहीँ बनना चाहिये ?

6. बिहार के पटना, गया और हाजीपुर मेँ लो फ्लोर बसेँ
चलेँगी क्या दरभंगा/ भागलपुर/कटिहार इस लायक नहीँ हैँ ?

7. मैथिली बिहार की प्रमुख भाषा है, मैथिली बिहार
की एकमात्र क्षेत्रीय भाषा है जो भारतीय संविधान
की अष्टम अनुसूचीमे शामिल है तो फिर आज तक इसे बिहार
की दूसरी राजभाषा का दर्जा क्योँ नहीँ ? यहां ये
बताना जरुरी है की मैथिली नेपाल की द्वितीय
राष्ट्रभाषा है!

8. बिहार सरकार भोजपुरी फिल्मोँ को कर मेँ छूट देती हैँ पर
मैथिली फिल्मोँ को नहीँ, क्योँ ?

9. मिथिला मेँ आजतक प्रारंभिक शिक्षा मैथिली मेँ
देनी नहीँ शुरु की गयी,क्योँ ?

10. बिहार सरकार उर्दू, बांग्ला के
शिक्षकोँ की नियुक्ति कर रहीँ पर मैथिली के
शिक्षकोँ की नहीँ, क्योँ ?

11.  जो IIIT दरभंगा के लिए था उसे नीतीश कुमार छीन कर
बिहटा स्थानांतरित कराये, क्योँ ? 

12. 2008 के कोसी पीड़ितोँ को आजतक न्याय नहीँ मिल
सका है, क्योँ ? 

13. मिथिला क्षेत्र मे नये उद्योग धंधे लगाने की बात
तो छोड़िये जितने भी पुराने जूट मिल, पेपर मिल, चीनी मिल
आदि थे वे सारे क्योँ बंद हो गये ?

14. नीतीश कुमार मिथिला क्षेत्र मेँ होने वाले हर इक
सभा मेँ ये कहते हैँ की मिथिला के विकास के बिना बिहार
का विकास नहीँ हो सकता तो फिर उन्होँने मिथिला के
विकास के लिए अब तक क्या किया ?

   कितने कारण गिनाऊ, बिहार के मिथिला के प्रति उदासीन
के ? अब तो बिहार पर विश्वास ही नहीँ है, बीते 100
सालोँ मे धोखा, धोखा और सिर्फ धोखा!
 
     अब आप बताइये बिहारी मित्रोँ क्योँ न करु पृथक
मिथिला राज्य की मांग ?"