Saturday 30 November 2013

केना विसरव - स्वर्गीय सर आशुतोष मुख़र्जी केँ

मातृभाषाक प्रति दड़िभंगा राज आदिक उपेक्षा तथा अवहेलनाक कारणे मैथलीक इतिहास जखन सर्वथा अवरुद्ध सन छल , तखन कोलकाता विश्वविद्यालयक कुलपति पदकेँ स्वर्गीय सर आशुतोष मुख़र्जी सुशोभित छलाह/ ओ  कोलकाता में एक वास्तविक विश्व - विद्या मंदिरक रूप में उक्त विश्वविद्यालय केँ प्रतिष्ठित करवाक संकल्पसँ भारतक जे कोनो साहित्यिक भाषा छल टकरा परीक्षाक अन्यतम विषयक रूप में प्रतिष्ठित कएल/ १९१७ ई० में  परिणाम ई भेल हिंदी ,बंगला ,मणिपुरी , असमियाक संग -संग मैथिलि मैट्रीकसँ लए बी. ए. धरी मातृभाषाक रूपए त परीक्षार्थ गृहीत भेवे कएल , संग - संग पांच मात्र साहित्यिक भाषाक एम. ए. के मुख्य विषयक रूप में स्वीकृत भेल ताहिमध्य मैथिली सेहओ छल.

Ashutosh Mukherjee
Sir Asutosh Mukharji.JPG
Ashutosh Mukherjee
Born29 June 1864
CalcuttaBritish India
DiedMay 25, 1924 (aged 59)
PatnaBritish India
Resting placeRussa Road, Calcutta (Now 77 Ashutosh Mookerjee Road, Kolkata - 700025)
OccupationEducator and the second IndianVice Chancellor of the University of Calcutta
NationalityIndian
EthnicityBengali
Alma materUniversity of Calcutta
Genresacademiceducator
Literary movementBengal Renaissance
Notable award(s)Order of the Star of India
ChildrenSyama Prasad Mookerjee

भाजपाक राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह जी कें मिथिला राज्य के लेल देल गेल ज्ञापन : मि.रा.नी.से.




भाजपाक राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह सँ आय मिथिला राज्य निर्माण सेनाक अध्यक्ष - दिल्ली ,राजेश झा  भेट  कय मिथिला राज्य के लेल ज्ञापन देलाह । 

मिथिला राज्यक मांग सँ जुडल किछु छाया चित्र आ पेपर में छपल अंश















































२६म अंतरराष्ट्रिय मैथिली सम्मेलन -

हमर १५१म मिथिला जागरण यात्रा : २६म अंतरराष्ट्रिय मैथिली सम्मेलन, देवघर नवम्बर २३-२४, २०१३
बहुत बेर बाद बिना तिथि बदलने तय तिथि पर सम्मेलन भय गेल जाकर निर्णय १०.२.२०१३ क हमर १३८म निथिला जागरण यात्रामे भेल छल जाहि लेल सब श्रेय सेवानिवृत्त चीफ इंजीनियर ओमप्रकाश मिश्रकें जाइत छनि जे बाबा बैद्यनाथ मिथिला सांस्कृतिक मंचकें अध्यक्ष छथि जकर सौजन्यसं बाबा नगरीमे मिथिला राज्यक डंका पीटायल जाकर ध्वनि सूदूर मिथिला तक पहुचल.
वस्तुत: २२-२३ दिसंबर २०१२ क जहिया मधेपुरामे हमरसबहक (अंतरराष्ट्रिय मैथिली परिषदक) २५म अंतरराष्ट्रिय मैथिली सम्मेलन होइत छल ओहि दिन एक दोसर समूह द्वारा देवघरमे सेहो एक मैथिली सम्मेलन भेल छल जाहिमे किछु प्रमुख मैथिल अपनाकें उपेक्षित बुझलाह आ ओहिमे एक महिला हमरा फोन केने छलीह – हम ओकर आलोकमे तुरंत नहि जा १० फरबरी २०१३क ओतय गेल छलहुँ आ ई बात तय भेल जे शीघ्रहि अपन मिथिला भवन तैयार होयत जाहिमे ई पुण्यकार्य हो आ उपस्थितमे एक मैथिल बजलाह २७ पूर्ण संख्या अछि से नीक रहत – ओना सम्मेलन भय गेल काफी नीक जका भनहि संख्या २७ नहि २६ रहल -अंतर भेल कारण पूर्वसं तय जुलाई २०१३ क पुपरीमे तय २६म सम्मेलन नहि भय सकल वर्षाक डरसं ओना बाढीक बदला रौदी भय गेल – लगैत अछि ओतय यदि सम्मेलन भेल रहैत वर्षा सेहो भेल रहैत.
यद्यपि १५.७.२०१३क हम अपन भगिनीक मुंडन लेल गेल देवघर गेल छलहुँ हुनका सबसं भेंट नहि कय पाओल आ स्वयं ओमप्रकाशजी बीच–बीचमे फोन केलाह जे कार्यक्रम स्टैंड करैत अछि वा नहि – हुनका सब दिशिसं कोनो कमी नहि रह्लैन्ही –हमहिसब चुकि गेलहुँ आ सब मैथिली संगठनकें ठीकसं हकार बिज्झो नहि भय सकल –
शुक्र २२.११.१३ क रांचीमे ‘आत्मबोध’ पर आध्यत्मिक कक्षा ८ बजे ख़त्म भेल – डेरा जा सामान लय निकललहूँ - -हटिया स्टेशन लेल टेम्पू लेल ठाढ़ छलहुँ की एक युवा शिवशंकर बाइक रोकि लिफ्ट देलक जे अनजान छल – समय पर स्टेशन गेलहूँ – आरक्षणनहि छल – बुध दिन खालीसन काउंटर पर एकमात्र अगिलाक आधा टिकटक बाद लिंक फेल भय गेल छलैक. ओना गाडीक सामान्य डिब्बामे गिनल चुनल पसिंजर – ऊपर सूतलहूँ – दोसर कात एक युवा बंगाली, जन्मना कुम्हार झारखंड, ओरिस्सा आ बंगाल क सीमा परहक़ मेदिनीपुर जिलाक जकर पिता अपन बेटीक अलीगढ़ सासुर छोडय गेलाह आ ठंढस मरी गेल- ई मैट्रिक पासनहि कय सकल लेकिन टी भी चैनलक काज सीखने आ देवघरमे काज करैत– ओतय मकान भाडा ताकक लेल गेल –‘बैचलरकें नहि देब- पत्नीक संग आऊ- ओकर बच्चा छोट गाममे रहैत से कोना आनय- ऑफिसमे रहैत अछि- रांचीमे सेहो एक कमरा संगी संग रखने अछि – ओकर उद्यमशीलता देखि नीक लागल – सबकें सीखक चाही
सूतय लेल तैयार भेलहु- ऊनी शाल डेरा पर रही गेल- एक धोती लपेटी यात्रा केलहुँ – हमरा ठंढ लागल -लेकिन प्राय: एक खानाबदोश युवा युवातीकें जवानीक गर्मी – हमरा द्वारा बन्द खिड़की खोलि देलक जाहि पर हम फेर स्वयम बंदकय देल – बादमे दरवाजा बंद करय कहल त युवती कहलक स्वयम करी जे उतरि बंद कयल ..भोर विद्यासागरमे – हाथक दस्ताना कतय गेल---नीचा दू महिला सूतल – के उठाबय- सोचलहुँ आब नब खरीदब --लेकिन ओ उठलीह – आ भेटी गेल ---
जसीडीह स्टेशन पर किसलय आ प्रेमजी काठगोदाम ट्रेनसं अयलाह – कोनो सम्मेलनमे यैह कार्यकर्त्ताकें अलग-अलग ठामसं एनाई हमरा नीक लागैत अछि – जीवन एहिमे बीति गेल - नेशनल मेदिकोस ओर्गेनैजेसन लेल ३२ एहेन सम्मेलन आ २० कार्यसमिति बैसार लेल –आ तहिना अंतरराष्ट्रिय मैथिली परिषद्क एहि २६म सम्मेलन (जाहिमे २००६मे सिमरियाघाट नहि आबी सकलहु)क अलावा ४ कार्यसमिति २ मिथिला महोत्सव आ ५ झारखंड प्रांतीय सम्मेलनमे –जाहिमे हमर प्रत्यक्ष वा परोक्ष संयोजकक भूमिका रहल, एखन २०१३ तककें जीवन बीति गेल.
विविध स्थानक कार्यकर्त्ताक अप्पन खर्चसं एक स्थान पर जमा करक ई एक रेकोर्ड भय सकैत अछि – ओ आबि अप्पन मतभिन्नता प्रगट करथि- विवाद करथि लेकिन एक मत वा निर्णयसं अप्पन स्थान लौटथि - एक सन्देश जे सबहक आ सभहक लेल छैक वैह निर्माण करत एक अपेक्षित परिवर्त्तन .
सुधीरजी किउलमे छलथि --आरक्षण वापसी लेल खाली काउंटरसं ली -पाटलिपुत्र वा वनांचलजे देरसंहो मुदा नहि उपलब्ध- लेकिन कर्मचारी स्वयम दुमका रांचीमे खाली अछि कहलक आ लयलेल . मथुराक आरक्षण ३०.११क कार्यक्रम लेल लेलाक बाद किछुवे पाई बांचल – ए टी एम् छल- लेकिन एकर प्रयोग हम बहुत कम करैत छी –
टेम्पूसं भुरभुरा चौक- तैयार भेलहुँ लेकिन बैसारक समय छल – दोसर दिन बाबाक दरबार जेबाक विचार भेल.
प्रतिनिधिक संख्या सामान्य लेकिन चर्चा लेल पर्याप्त रहल – उद्घाटन कृष्णानंद झा पूर्वमंत्री द्वारा जे बिनोदानानद झाक सुपुत्र – हमर २३ मिनटक भाषणक सार छल भारत आ नेपालमे मिथिला राज्य अलग-अलग चाही, संथाल परगनाकें मिथिलामे रहलासं की लाभ( संथालकें पूर्ण आरक्षण सुविधा , सिंचाई लेल सहज गंगा जल आदि), केन्द्रीय मंत्री रावत द्वारा माता सीताकें विदेशी कहय पर कडा प्रतिरोधक संग भारत राष्ट्रक अवधारणा की अछि से व्याख्या कायल जे तिब्बतसं श्रीलंका, अफगानिस्तानसं बाली तक ई एक भारत राष्ट्र अछि जाहिमे अनेक राजनीतिक देश अछि तेलंगाना संग मिथिला राज्य बनय जाकर राजधानी दरभंगासं देवघर धरी कतहुँ भय सकैत अछि - राज्य बनब सामाजिक, आर्थिक कारणसं आवश्यक अछि, राष्ट्रिय सुरक्षा लेल सेहो आदि –
ललनजी मंच संचालन केलाह ( रवीन्द्रजी आ जमशेदपुरक प्रमोदजी आदि उद्घाटनक ठीक समय पहूँचलाह ओना तय छल रवीन्द्रजी करताह - से ओ कृष्णानंद बाबूसं दोबारा अप्पन आग्रहकय जे मैथिली द्वितीय राजभाषा बनय ताहि लेल प्रतिनिधिमंडलक अगुवाई करथि, पर ठाढ़ करा आश्वासन लय लेलाह- ललनजी आ करूणाजी नेपालक स्थिति पर बात रखलाह जे चुनाव ठीक भेल जकर समर्थन लेकिन हमरा चाही मिथिला राज्य – डॉ भुवनेश्वर प्रसाद गुरुनैता मिथिला राज्यक समर्थनमे पुरजोर बजलाह – ओमप्रकाश जी बैद्यनाथ मिथिला सांस्कृतिक मंचक गतिविधि रखलाह आ पूर्व आई जी के डी सिंह धन्यवाद् ज्ञापन. स्वागत भाषण अंजनी मिश्र केने छलाह – देवघरक सबसं पुरान मैथिल प्राध्यापक बिभाकरजी बताउलाह कोना मैथिली पढ़ाई ओ प्रारंभ देवघरमे करौलाह जखन की ओ संस्कृतक प्राध्यापक- हुनक अनेक पोथी छनि ख़ासकय ५४ जनकक बारेमे - अध्यक्ष डॉ कमलकांत झा मिथिला राज्यक संसाधन बतौलाह आ मैथिली पत्रिका -पुस्तक खरीदबाक आग्रह.
सान्झमे कवि सम्मलेन नीक रहल श्यामल सुमनक संयोजनमे जकर सञ्चालन किसलय कृष्ण केलाह – एक वरिष्ठ अपन गीत पढ़ी चली गेलाह (दोसर दिन नहि आबि सकलाह वा नहि अयलाह – बादमे हम बतावल जे ई प्रांतीय सम्मलेन नहि छलैक आ अब हुनका सन वरिष्ठकें मंच भेटल वा नहि से नहि सोचक चाही)- हम चाहैत छलहुँ जे ओ अध्यक्षता करितथि कवि सम्मलेनक लेकिन हुनका रहबाक नहि छलनि आ ओ चली गेलाह - हमरा सेहो एक गीत तकाल बना पढय पडल-
जागू हे बैद्यनाथ
हे बाबा बैद्यनाथ
लगैत अछि भय गेल अकाल
पियउज , आलू, नोनक बाद
कवि सम्मलेनमे कविकें
जे हम बजा लेल गेलहुँ
हे बाबा बैद्यनाथ
आयल रहैत छथि मैथिलजन एतय
अबैत रहताह मैथिलजन
अपन कामना लय जतय
ओतय निष्काम हम भय पायब की?
जे करैत छथि सुखी त्रसित जनकें
ओ स्वयम भय गेलीह त्रसित
की अहंक खुजत आँखि तेसर
की भस्म हेताह आब कामी
जे केलथि निर्भयाकें भया
की करब निर्भयाकें अभया
की होयत फेर यज्ञभंग
जतय ने प्रतिष्ठित
जनक- जानकी
की होयत फेर ध्वंश
या फेर नब निर्माण
जतय छलीह जगदम्बे
अवनीक कोरामे
की कौर भरि पायत
हुनक चिल्ह्कोरवा छीनी लय जायत कौआ कारी
आ गबैत रहताह कागभुशुण्डी
हे बाबा बैद्यनाथ जागू
जागू आब खोलू आँखि
लाऊ प्रलय
करू भस्मीभूत
एहि मोनकें जे केलक
निष्काम लिंगकें
मनोकामना लिंग
हे बाबा बैद्यनाथ
आयल छी हमहूँ सब
किछु कामना लय
लेकिन ई निष्काम अछि
सुनैत छि ई विश्व अछि
अहांक त्रिशूल पर
लेकिन त्रिशूलक दंड ठाढ़ अछि
ज त य ओ मिथिला
अहाँक सासुर त्रसित अछि
अन्हीक भूतगण, नाग-नागिनसं
अएलहूँ अहाँ चाकर बनिजहां
ओ भय गेल चाकर आब
ओकर जकर पानि नहि पीबैत रहल
आयल वैह आब, कोसी अहाँ
कोस भरी पानि पीबीडूबल पानिसं उबरि
जागू हे बैद्यनाथ
खोलू अपन आँखि
खोलू अपन आँखि.
( २३.११.२०१३ क डॉ. धनाकर ठाकुर द्वारा २६म अन्तरराष्ट्रिय मैथिली सम्मेलन, देवघरक कविगोष्ठीमें त्वरित लिखल आ पढ़ल गेल )
जयनगरसं आयल सदरे आलम ‘गौहर’ कविता पढलाह ( दोसर दिन हुनक घोषणा जयनगर अनुमंडलक महासचिव आ बौएलाल यादवक अध्यक्षक रूपमे भेलन्ही) -गायक सुरेन्द्र यादव नचारीसं झुमा देलाह – कहक चाही अंतरराष्ट्रिय मैथिली परिषद् ‘मिथिलायाम भवतु मैथिल:’- मिथिलाकें सब मैथिल अपन काजसं प्रमाणित करैत अछि (आ ई मुक्तकंठसं दोसर दिन सब बजलाह).
साँझसं देर राति तक प्रतिनिधि अबैत रहलाह – अजन्ता झा, पार्षद धनबाद नगर निगम आ सुरेश झा ‘नेताजीआ धीरेंद्र जा बैंक मनेजर आ अध्यक्ष धनबाद करीब ११ बजे अयलाह . अजन्ता झा लेल बगलक जाहि घरमे महिला सब ठहरल छलीह केवाड़ी नहिये खुजल जाबत गायिका बिभा झाकें सूतल पति कें उठाकय फोन नहि करावल – अजन्ता झा बंगलाभाषी लेकिन विवाह साठघरिया ब्राह्मण चंदनकियारी (बोकारो जिला) जे फुलपरासं लगसं २५० वर्ष पहिने आबी बसल छथि आ काफी सक्रिय छथि – सम्प्रति उपाध्यक्षा झारखण्ड प्रदेश अंतरराष्ट्रिय मैथिली परिषद्. कलाकार रामसेवक ठाकुर सबसं देर राति पन्हुचलाह.
दोसर दिन प्रात: देरसं उठलहूँ - स्नान-पूजाक बाद बाबाक दर्शन लेल गेलहु- संगमे सुधीरजी आ करूणाजीक पति जिनकास पहिल परिचय एहि बेर भेल (पैदल संग आयल छलाह )– रास्तामे अखबार खरीदल – नीक समाचार छपल सम्मेलनक - आश्चर्य जे करूणाजी अप्पन पतीकें पार्वती मंदिरमे संग पाबी लेलथि एहि भीड़मे ---कहल्यैन्ही नीक पूजा अहाँ कयल जे अपन शिव तुरंत पायल ---ए टी एम कार्ड छल लेकिन रुपया संगमे बहुत कम (मथुराक टिकट जसीडीहमे कटाऊला बाद) तथापि किछु पूजनमे खर्च - दर्शन किछु भीड़ होइतहुँ नीक जका- सुधीरजी एक दोकानमे शंख २ टा लेलाह वैह बताउलक जे गंगा साहक दोकान (जाहि पर बुढ ससुरक फोटो) ठीक पेडा दैत अछि – २४० रूपा किलो --पाव भरी तैयो लेल्हू – करूणाजीक पति डेढ़ किलो खरीद्लाह –
नगीना प्रसाद महतो जे बोकारोसं आबि गेल छलथि कें अध्यक्षतामे सांगठनिक बैसार हालमे प्रारम्भ करा गुरुमैताजी, कमलकांत जी, सुधीरजी, ललनजीक संग ऊपर छत पर कोर कमिटीक बैसार लेल जाहिमे अनेकानेक सांगठनिक निर्णय भेल जाहिमे मिथिला राज्य संघर्ष समिति आ युवा मिथिलाकक पुनर्गठन, मिथिला बाल परिषद्, मिथिला कला मंचक स्थापना आदि प्रमुख अछि जे आबिकय बतावल आ नगीनाजीकें सत्यनारायण महतोक बदले समयाभाव देखैत जोड़यक घोषणा – सितम्बरमे जखन रवींद्र चौधरी महासचिव प्रदेशक हुनका जगह बनावल गेल छल ओ सोचने हेताह हमरा छोड़ी देलाह- हम सब जोड़य लेल चललहुँ अछि लेकिन कियो छोड़ी दय त कोन उपाय –
परिषद्क क्रियाविधि बतावल – कहियो हम संस्थापक नाते निर्णय लैत छलहूँ– लेकिन आब एक समितिसं संस्तुति जरूर आ कोर कमिटीक निर्णयकें कार्यसमिति आ कार्यसमितिक निर्णयकें आमसभा उलटी सकैत अछि – कई एक बेर एहेन भेल अछि आ स्वीकार्य रहल भनहि ओकर परिणाम विपरीत भेल (जेना मुंबई अधिवेशनमे किनकहुँ जबदस्ती अध्यक्ष बनब वा ओतही कोनो महासचिवक अध्यक्षक नामक स्वयम घोषणा)-
वा किनको अभिमान जे ओ अंतरराष्ट्रिय मैथिली परिषदक सदस्य नहि छथि तथापि कार्यकारी पद पर रहताह (एक एहेन इकाईकें संग जबदस्ती अप्पन परिवारमे राखक राजनीती केलाह) -- अंतरराष्ट्रिय मैथिली परिषद् कोनो अनुषंगी संगठनक कार्यमे हस्ताक्षेपनहि सहयोग करत यदि ओ अनुशासनक दायरामे काज करथि नहि त एतेक कमजोरनहि जे केहनो महान मैथिलीसेवाक इतिहासबलाक बिना अपन काजनहि चला पायत. संगहि एहि बात पर जोर देल जे बेर –बेर मंच पर जेबाक – फोटो खीचेबाक- प्रेसमे अपन नाम छपेबाक व्याधिसं कार्यकर्त्ता बचथि- यदि कियो अपन देल इकाई वा संस्थाक काज करत ओतय ओकर नाम स्वयम प्रेस ताकि देतैक – ओना नाम लेल काज केनाईक मनोवृत्ति छोडक चाही – हम स्वयम निर्णय लेल जे आब एक बेरसं बेशी मंच परनहि जायब आ सैह कयल .. अधिकसं अधिककें मौक़ा देल जाई ताकि हुनकामे योग्यता निर्माण हो ..
फेर स्वर्गीय मायानंद मिश्र आ जीवकांत पर साहित्यिक गोष्ठी भेल – ओतहुँ एक युवक जिनका संचालन लेल कहल ओ तेसरकें नाम जोड़य चाहय छलथी जकरा लेल स्वीकृतिनहि देल कारण मंचक कार्यक्रममे एक घंटा देर भय चुकल छल आ जखन की हम सब एकही व्यक्ति पर केन्द्रित साहित्य गोष्ठी रखैत अयलहूँ रअछि आ अपवादवश दोसर इ नाम संग मृत्यु चलते पूर्वप्रचारित विषयमे छल – कह्लियैन्ही हुनक नामपर प्रस्ताव अहा बादमे आनब समितिक विचार हेतैक त ओहू पर गोष्ठी कहियो हेतैक -
कईएक बेर लोक अपन सीमा रेखा बिसरि जाएथी छथि, हुनका जतेक काजल लेल नजावल ओतबे बाज्क चाही आनहि संभव हो विषय नब हो नहि स्वीकार करक चाही - एकर बाद खुला मंचसं विद्यापति पर गोष्ठी भेल जाहिकें अध्यक्षता इंजीयर देवेन्द्र झा केलन्हि आ वक्ता छलाह डॉ कमलकान्त झा आ पूर्व आए जी के डी सिंह . धन्यवाद ज्ञापन सुरेश सिंह केलाह आ सञ्चालन श्यामल ‘सुमन’
फेर कार्यक्रमक सांस्कृतिक भाग बैद्यनाथ मिथिला सांस्कृतिक मंचक वार्षिक कार्यक्रम जकां छल जाहिमे रामसेवक ठाकुर, सुरेन्द्र यादव, विभा झा आदि झूम मचा देलाह -यात्रीजीक ‘भगवान् हमर मिथिला सुख शांतिक‘क गायनसं समाप्ति भेल .
हर बात आ काजमे मिथिला..मिथिला...मिथिला गुंजित रहल -समाचारक सुर्खी मिथिला प्रांत बनल आ सब ह्रदयक बात खोलिकय रखलाह आ आतिथ्य सुखद रहल ..
सान्झमे फेर भोजनकय ट्रेन लेल नब देवघर स्टेशन लेल किसलय संग पैरहिं निकललहूँ – लग अयला पर एक टेम्पू बैसा लेलक - देवघर स्टेशन नीक बनलैक – धनबादक टीम पहिलेसं छल, जमशेदपुरक इछु मिनटमे पँहुचल जिनका ट्रेन चुटक डरसं भागल आयल छलहूँ- लेकिन वाकिंग तेज भेल स्वास्थ्य लेल से फायदा --आरक्षित डिब्बामे अगल – बगल मारवाड़ीसब कम्बल रजाईसं भरल- सबसं कम कपड़ा- पहिरल धोती ओढ़ी यात्रा भेल – भोर ४ बजे रांची स्टेशन- १ नंबर प्लेटफॉर्म पर जा भोर क प्रतीक्षामे मैथिली दर्शन क कथा विशेषांकक सम्पादकीय पढलहूँ – नचिकेताक मात्स्य न्याय जका छोट भाषाकें पैघ द्वारा गीडक प्रवृत्ति पर – प्लेटफॉर्म ३ सं लोहरदगा गाडीक खुजक घोषणा- हडबडीमे ५ रूपाक टिकट अरगोडाकें – (बादमे देखल प्लेटफार्म टिकट छल) – दोदैत खुजल गाडी पकड़ी अरगोदा किछु मिनटमे आ उर २० मिनट क वाकिंग बाद श्यामली कालोनी डेरामे .. घर अयला पर १० रुपा बाचल छल- करूणा जीक बैनरक देल ५०० पाईमे हाथ नहि लगब पडल आ नेपाली मिथिलाक नक्शा छूटी गेल – हमर ३११ रूपा टिकट खर्च दोसर कार्यकर्त्ता पर ७० रूपा कुल ३८१ क मात्र खर्च (आ बुझु ६० रूपाक पेडा १० क बध्धी आ ६२ रूपा पूजामे मात्र खर्च) भेल- एहिसं बेशीक ओमप्रकाशजी खुवा देने हेताह.
विद्यापति के गीतों से हुआ समापन Prabhat khabar 24.11.13 Devghar
देवघर : बैद्यनाथ मिथिला संस्कृति मंच के तत्वावधानमे 26 वें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के अंतिम दिन महाकवि विद्यापति पर गोष्ठी का आयोजन किया गया. इसमे विद्यापति के उत्कृष्ट कार्यो का उल्लेख किया गया.
गोष्ठी के दौरान डॉ कमलकांत झा ने कहा कि विद्यापति दक्षिण भारत को छोड़ समस्त भारत के लोगों के चहेते हैं. वे प्राचीन काल के सबसे लोकप्रिय कवि थे. अभी भी उनके द्वारा रचित गीत शुभ कार्य शुरू करने से पहले गाया जाता है. देवेंद्र झा ने कहा कि मिथिला की पहचान ही विद्यापति की गीतों से होती है. इसके अलावे रिटायर आइजी केडी सिंह ने भी अपने विचार प्रकट किये.
उसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रममे विद्यापति के गीतों पर लोग झूम उठे. एक से एक हास्य चुटकुले भी सुनाये गये. वहीं केडी सिंह ने विद्यापति द्वारा रचित गीत ‘‘बाबा बैद्यनाथ हम आयल छी भिखरिया, अहां के दुअरिया.., के पतिया ल जायत रे मोरा पियतम पास.. गाकर लोगों का मन मोहा. वहीं सेवानिवृत्त चीफ इंजीनियर ओम प्रकाश मिश्र ने भी संगीत प्रस्तुत किये. कवि मायानंद मिश्र व जीवकांत के ऊपर भी साहित्यक चर्चा की गयी. सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ ही अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन का समापन हुआ.


Friday 29 November 2013

अपील - चलो जन्तर-मन्तर पर ५ दिसम्बर, २०१३



चलो जन्तर-मन्तर पर! 

५ दिसम्बर, २०१३!    

      (जन्तर-मन्तरपर विशाल धरना प्रदर्शन - मिथिला राज्यके समर्थनमें - संसदमें रखे गये बिलपर सकारात्मक बहसके लिये राजनीतिक शक्तियोंसे सामूहिक अनुरोध के लिये।)

वैसे तो मिथिला राज्यका माँग स्वतंत्रता पूर्वसे ही किया जा रहा है, स्वतंत्रता उपरान्त भी यह माँग देशकी प्रथम संविधान सभाके सत्रोंसे लेकर राज्य पुनर्गठन आयोग तक मंथनका विषय बननेके बावजूद राजनीतिपूर्वक किसी न किसी बहानेमे नकारा गया और मैथिली सहित मिथिलाके भविष्यको पहचानविहीनताकी रोगसे आक्रान्त किया गया जो निसंदेह किसी गणतंत्रात्मक प्रजातांत्रीक मुल्कके सर्वथा-हितमे नहीं हो सकता है। फलस्वरूप अब मिथिलाका वो स्वर्णिम समय दुबारा भारतको शास्त्र-महाशास्त्रके साथ आध्यात्मिक दर्शनकी पराकाष्ठापर पहुँचा सके, हाँ आज इतना तो जरुर है कि मिथिलाके मिट्टी और पानीसे सींचित व्यक्तित्व न केवल राष्ट्रमे बल्कि समूचे ग्लोबपर अपनी उपस्थिति ऊपरसे नीचेतक हर पद व स्थानपर महिमामंडित करते हैं, लेकिन मूलसे बिपरीत आज सामुदायिक कल्याण निमित्त नहीं होता - बस व्यक्तिगत विकास केवल लक्ष्य बनकर पहचानविहीनताके रोगसे मिथिला-संस्कृति विलोपान्मुख बनते जा रहा है। ऐसेमें यदि अब स्वतंत्रताका लगभग ७ दशक बीतने लगनेपर भी मिथिलाको स्वराज्यसे संवैधानिक सम्मान नहीं दिया गया तो मिथिलाका मरणके साथ भारतकी एक विलक्षण संस्कृतिका खात्मा तय है।

           भारतमे विभिन्न नये राज्य बनानेकी परिकल्पना आज भी निरंतर चर्चामें रहता ही है। संसदसे सडकतक इस विषयपर नित्य विरोधसभा और संघर्ष कर रही है यहाँकी जनता, खास करके जिनका पहचान समाप्तिकी दिशामे बढ रहा है और उपनिवेशी पहचानकी बोझसे अधिकारसंपन्नताकी जगह विपन्नता प्रवेश पा रहा है वहाँपर नये राज्योंकी सृजना अनिवार्य प्रतीत होता है। बिहार अन्तर्गत मिथिला हर तरहसे पिछड गया, ना बाढसे मुक्ति मिल सका, ना पूर्वाधारमें किसी तरहका विकास, ना उद्योग, ना शिक्षा, ना कृषिमें क्रान्ति या आत्मनिर्भरता, ना भूसंरक्षण या विकास, ना जल-प्रबंधन और ना ही किसी तरहका लोक-संस्कृतिकी संवर्धन वा प्रवर्धन हुआ। बस नामके लिये सिर्फ मिथिलादेश अब मिथिलाँचल जैसा संकीर्ण भौगोलिक सांकेतिक नामसे बचा हुआ है। राजनीति और राजनेताके लिये मिथिलाका पिछडापण मुद्दा तो बना हुआ है लेकिन वो सारा केवल कमीशनखोरी, दलाली, ठीकेदारी, लूट-खसोट और अपनी राजनैतिक लक्ष्यतक पहुँचने भर के लिये। मिथिला भारतीय गणतंत्रमें मानो दूधकट्टू संतान जैसा एक विचित्र पहचान 'बिहारी' पकडकर मैथिली जैसे सुमधुर भाषासे नितान्त दूर 'बिहारी-हिन्दी'की भँवरमें फँसकर रह गया है।

                जिस बलसे मिथिला कभी मिथिलादेश कहा जाता रहा, जिस तपसे जहाँकी धरासे साक्षात् जगज्जननी स्वयं सिया धियारूपमे अवतार लीं, जहाँ राजनीति, न्याय, सांख्य, तंत्र, मिमांसा, रत्नाकर आदि सदा हवामें ही घुला रहा... उस मिथिलाको पुनर्जीवन प्रदान करने के लिये स्वराज्य देना भारतीय गणतंत्रकी मानवृद्धि जैसा होगा ‍- अत: मिथिला राज्यकी माँगवाली विधेयक काफी अरसेके बाद फिरसे भारतीय संसदमें बहसके लिये आ रही है। किसी एक नेता या किसी खास दलका प्रयास भले इसके लिये ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो, लेकिन जरुरत तो सभी पक्षों और राष्ट्रीय सहमतिका है जो इस माँगकी गंभीरताको समझते हुए वगैर किसी तरहका विद्वेषी और विभेदकारी आपसी फूट-फूटानेवाली राजनीति किये न्यायपूर्ण ढंगसे मिथिला राज्यको संविधान द्वारा मान्यता प्रदान करे। इसमें कहीं दो मत नहीं है कि नेतृत्वकी भूमिकामें जितने भी संस्था, व्यक्ति, समूह, आदि भले हैं, पर मुद्दा तो एकमात्र 'मिथिला राज्य' ही है और इसके लिये एकजुटता प्रदर्शनके समयमें हम सब मात्र मिथिला राज्यका समर्थक भर हैं और मिथिलाकी गूम हो रही अस्मिताकी संरक्षणके लिये, मिथिलाकी चौतरफा विकासके लिये, मिथिलाकी खत्म हो रही लोक-संस्कृति और लोक-पलायनको नियंत्रित रखने के लिये अपनी उपस्थिति जरुर दिल्लीके जन्तर-मन्तरपर और भी अधिक लोगोंको समेटते हुए जरुर दें। तारीख ५ दिसम्बर, समय १० बजेसे, स्थान जन्तर-मन्तर, संसद मार्ग, नयी दिल्ली!


मिथिलावासी एक हो! एक हो!! एक हो!!

एकमात्र संकल्प ध्यानमे!
मिथिला राज्य हो संविधानमे!!

भीख नहि अधिकार चाही!
हमरा मिथिला राज्य चाही!!

जय मिथिला! जय जय मिथिला!!