Friday 28 August 2015

श्री प्रवीण नारायण चौधरी जी के मिथिला - मैथिली के "जामबंत" क उपाधि सँ सम्मानित

आजुक समय में मिथिला - मैथिली के "जामबंत" श्री प्रवीण नारायण चौधरी जी के संग । मित्र व श्रेठ लोकनि अपने लोकनि के इ जानकारी द दी, जे इ उपाधि हिनका हमरे द्वारा देल गेल छनि। तकर मूल कारण जहिना रामायण में जामबंत मैथिली (माता सीता ) के अनबाक लेल हुनक पुत्र तुल्य श्री हनुमान जी के शक्तिक आभाष करौलनि , तहिना प्रवीण जी कतेको मैथिली पुत्र के ओकर शक्तिक एहसास करौलनि आ क्रमशः लागल छथि। जाहि सँ मिथिला - मैथिली के विकास भ' सकैक मिथिला राज्य बनि सकैक । एहि गुण के कारण हम हिनका "जामवंत" क उपाधि सँ सम्मानित केलियनि ।


Thursday 6 August 2015

दिल्लीमे मैथिल नारी नहि छैथ बेचारीक सफल व्याख्यानमाला संपन्न


दिल्ली,मिथिला मिरर-मनीष झा’ बौआ भाईः देशक राजधानी दिल्लीमे २१ फरवरी, २०१५क’ अंतर्राष्ट्रीय मातृभाखा दिवस पर स्थापित संस्था “मैथिली साहित्य महासभा” भव्य आयोजनक संग एकर स्थापना केने छल आ एकरा एकटा मूर्त रूप देबा लेल अपन कटिबद्धताकें सार्वजनिक घोषणा केने छल । एहि घोषणाक निर्वहन करैत विगत रविदिन मने ०२ अगस्त,२०१५क’ दिल्लीक कॉन्स्टीट्यूशन क्लब,स्पीकर हॉल में पहिल विद्यापति स्मृति व्याखानमाला केर आयोजन कएल गेल. एहि आयोजनक अध्यक्षीय मार्गदर्शन देली सुप्रसिद्ध साहित्यकार आ गोवा केर वर्तमान महामहिम राज्यपाल मृदुला सिन्हा. व्याख्यानमालाक विषय राखल गेल छल “मिथिलाक नारी, नहि छथि बेचारी” जकर विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत केली मैथिलीक प्रसिद्ध साहित्यकार पद्मश्री डॉ. उषाकिरण खाँ.
कार्यक्रमक संचालन किसलय कृष्णक ओजपूर्ण शब्द लालित्यक संग प्रारम्भ भेल आ जोगी भेष में उपस्थित बथनाहा,सीतामढी निवासी श्यामरुद्र पाठकक भाव सुसज्जित स्वर में विद्यापति रचित “कुञ्ज भवन स’ निकसल रे” गीत स’ कार्यक्रमक शुभारम्भ भेल. मंचासीन हेबा लेल आमंत्रित कएल गेल क्रम स’ मृदुला सिन्हा, पद्मश्री डॉ. उषाकिरण खाँ, करुणा झा (मिथिला मैथिली वास्ते सदिखन तत्पर रहनिहारि मैथिलानी जेकि एहि आयोजन में सहभागिता देबा लेल राजविराज, नेपाल स’ आएल छली), अमरनाथ झा आ हेमन्त झा (दुनू गोटे संस्थापक सह आयोजक सदस्य, मैथिली साहित्य महासभा). एहि ठाम एक बातक जानकारी दी जे भारतक पूर्व राष्ट्रपति डॉ.ए.पी.जे.अबुल कलामक निधन केर धेआन में रखैत दीप प्रज्ज्वलन ओ सामूहिक गीत आदि नैं प्रस्तुत क’ विद्यापतिक स्मृतिचित्र पर सामूहिक पुष्प माल्यार्पण कएल गेल. संस्थाक संस्थापक सदस्य अमरनाथ झा स्वागत भाषणक क्रम में मंचासीन तीनू मैथिलानीक प्रति आभार प्रकट करैत मिथिलाक नारी नहि छथि बेचारीक रूप में हिनका तीनू गोटेकें उदाहरणक रूप में सोझा रखैत बेटा-बेटी में अंतर करबा सन संकीर्ण मानसिकताक परित्याग करबाक आह्वान केलनि. हेमन्त झा संस्थाक आगामी योजनाक सन्दर्भ में जानकारी देइत कहलनि जे संस्था एकटा एहेन प्लेटफॉर्म तैयार क’ रहल अछि जत’ नवतुरिया साहित्यकर्मीक रचना केर प्रकाशनादि हेतु सार्थक डेग उठेबा लेल तत्पर अछि आ अबिलम्ब एकर परिणाम सेहो सोझा आबि जाएत.
करुणा झा अपन वक्तव्य में ई बात सोझा रखलनि जे वास्तव में वर्तमान जुग में मिथिलाक नारी बेचारी नहि छथि ई बात भले ही महानगरीय परिवेश में नैं होइ मुदा ग्रामीण स्तर पर एखनों बदलाव के आवश्यकता छै कारण जत’ भारती सन विदुषी शंकराचार्य के पराजित केलनि ओहि मिथिला क्षेत्र में आइयो धरि दहेज़ प्रताड़ना,डाइन-जोगिन,घरेलू हिंसा आदि के शिकार नारी भ’ रहली अछि. कहबाक अभिप्राय छलनि जे मानसिकता में बदलाव होए कारण शिव सेहो शक्ति बिनु अधूरा छथि. उपरोक्त विषय पर अपन व्याख्यान देइत साहित्यकार पद्मश्री डॉ. उषाकिरण खाँ नारी केर संग बेचारी शब्दक प्रयोग कें तार्किक रूपें सोझा रखलनि जे बेचारी बनब आ बेचारी हएब दुन्नू भिन्न सोचक प्रतीक थिक. माएकें अपन मातृत्वक निर्वाह करब बेचारी बनब नहि अछि मुदा ज’ शिक्षाक प्रति जागरूक नहि कएल जाइत अछि ओ ओकरा बेचारी बनाएब अछि. नारी जागरण हेतु गामे-गाम जा वर्कशॉप केर आयोजन क’ हुनका जागरूक करबाक चेष्टा ज’ कएल जाए त’ नारी बेचारी नहि रहि स्वाबलंबी भ’ सकैत छथि. अध्यक्षीय वक्तव्य में महामहिम राज्यपाल मृदुला सिन्हा जी मैथिली भाखा,संस्कृति,पावैन-तिहार आदिमे मिथिलाक नारीक अद्भुत जोगदानक एक स’ एक उदाहरण सोझा रखैत बजली जे एखनो जहन कोनो विषय पर शोध करबा लेल बैसै छी आ निदान नैं भेटैत अछि त’ जहिया गोवा स’ बिहार जाइत छी मैथिलीक गीत पावनि-तिहार आ ओतुका संस्कृति स’ ओ सभ विषय भेट जाइत अछि जे हमरा चाही, जे संस्कृति आइयो धरि मिथिले के नारी सहेज क’ रखने छथि. उदाहरण देइत  बटगबनी “अपन किशोरी जी के” आ एहेन कतेको पारंपरिक गीत सस्वर गाबि सुनेली जे सूनि समूचा सभागार में अनवरत थोपड़ी गरगराइत रहल. कार्यक्रम अपन सार्थक दिशामे बढैत रहल आ बीच में किसलय कृष्ण अपन स्वरचित मिथिला वर्णन आ तदुपरांत लोक गायिका आराधना मल्लिकक स्वर में सेहो भगवती गीतक प्रस्तुति भेल. पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम साहेबक दिवंगत आत्माक शान्ति हेतु एक मिनटक मौन राखि सामूहिक श्रद्धांजलि सेहो देल गेल.
धन्यावाद ज्ञापन करैत संजीव सिन्हा जी सभ गोटेकें आभार व्यक्त केलनि आ संगे संस्था दिस स’ मैथिली लेखन में सक्रिय हेबा लेल एकटा बहुत महत्त्वपूर्ण घोषणा आ आह्वान केलनि जे मैथिल युवा जिनक उमेर चालीस बर्ख स’ कम होए रचनाकर्मी लोकनिक मध्य चयनित एक गोट रचनाकार कें एक लाख टाकाक पुरस्कार प्रतिवर्ष सेहो देल जाएत.
एहि सफल आयोजन में किछु गणमान्य व्यक्ति, साहित्य ओ समाजसेवी लोकनिक उपस्थित उत्साहवर्धक रहल : गंगेश गुंजन,भुवनेश्वर गुरमैता (नेपाल),सुनीत ठाकुर,भास्कर झा (कोलकाता),अमित आनंद (सहरसा),मनोज श्रीपति,विमल जी मिश्र,अमित चौधरी,प्रकाश झा,मुकेश झा,अन्नी मिश्र (मधुबनी पेंटिंग),कुमकुम झा,अभिमन्यु खाँ,निवेदिता झा मिश्रा,आदित्य मिश्रा,सुधा झा,सुनील पवन,कंत शरण,भवेश नंदन, डॉ. ममता ठाकुर, सुशांत झा,श्रीचंद कामत,संजय झा नागदह,विजय झा,ललित नारायण झा,राहुल राय,कौशल कुमार,विभय कुमार झा,पंकज प्रसून,डॉ. पंकज मिश्र, शिशिर झा,कृपानंद झा,हितेंद्र गुप्ता आदि. source - mithila mirror

Wednesday 15 July 2015

M.A. in Maithili-मैथिली में एम.ए.




M.A. in Maithili-मैथिली में एम.ए.

संविधानक आठम अनुसूची में मैथिलीक प्रवेशक पश्चात,हुनको सभकें मैथिली में एम.ए. करबाक सूरि चढ़ल छन्हि जे गाम-घर छोड़लाक बाद, रिफ्यूजियन शैली में हां जी बाजए लागल छथि । जे गाम-घर धएने छथि,सेहो बीपीएससी केर चक्कर में 35 बरख धरि तैयारी करैत रहैत छथि। हुनको सभके आब मैथिली रोजगारपरक बूझि पड़ि रहल छन्हि। मैथिली में उच्च शिक्षाक आकांक्षी रोजगाररत आ आनो लोकनिक समस्या इ छन्हि जे कोन ठाम सं एम.ए. कएल जाए। गूगल सर्च पर लोक सभ बफहारि काटि रहल छथि मुदा कतहु कोनो लिंक नहिं भेट रहल छन्हि। कारण ई जे दिल्ली सं जा कए इग्नू गली-गली में अपन विद्यार्थी बनओलक मुदा बिहारक कुलपतिलोकनि कें नहिं फुरएलन्हि जे अपन विश्वविद्यालय में दूरस्थ शिक्षा विभाग के सशक्त करी।पटना,मगध आ ललित नारायण विश्वविद्यालय में दूरस्थ शिक्षा विभाग अछि मुदा घाघ लोकनि ओहि में एम.ए. स्तर पर मैथिली शामिल नहिं होमए दैत छथिन्ह। डर होईत छन्हि जे जखन रेगुलर कोर्स में दुओ टा विद्यार्थी नहिं जुटि पाबि रहल अछि तं डिस्टेंस एजुकेशन में पढ़ाई केर सुविधा भेटला पर रेग्युलर कोर्स में के लेत एडमिशन ? सूचनार्थ फरिछबैत चली जे पत्राचार पाठ्यक्रम सं एम.ए. सम्प्रति बिहार विश्वविद्यालय,मुजफ्फरपुर मात्र सं कएल जा सकैत अछि। ओहि ठामक दूरस्थ शिक्षा निदेशालयक नम्बर अछिः0621-2244879. उत्साही लोकनि ध्यान राखू जे एहि ठाम एडमिशन एहि शर्त पर भेटत जे कोनो तरहक पाठ्य-सामग्री उपलब्ध नहिं कराओल जाएत-यूजीसी आ दूरस्थ शिक्षा परिषद्,दिल्ली केर आदेश जाउ जहन्नुम में। आ मैथिली में पोथी सभहक की स्थिति छैक से त बूझिते होएब। कतेको पोथी केर दाम तं पांचे-दस टका छैक मुदा ओकरा तकबा में पांच-छह सौ टका तक लागि सकैत अछि। मैथिलीक गढ़ दरभंगा में आब कोनो दोकान में मैथिलीक पोथी नहिं भेटत। हं,पटना में एक गोटे छथि जे संक्रमणहु काल में मैथिलीक प्रतिएं समर्पित रहलाह। ई छथि मैथिली साहित्यक मूर्धन्य हस्ताक्षर सुधांशु शेखर चौधरीजीक साहित्यकार सुपुत्र आ समय-सालक संपादक श्री शरदिन्दुजी(फोन-09334102305)। हिनका लग काजक सभटा पोथी भेटि जाएत। आ किछु आन उपयोगी पुस्तक मैथिली अकादमी में भेटत।हमर शुभकामना लिअ।

रुचिगर सूचनाक मंच

saujanya : http://krraman.blogspot.in/2009/02/ma-in-maithili.html

Saturday 16 May 2015

अपन गाम अपन बात: बरसाइत -पतिक दीर्घायुक कामना के लेल

अपन गाम अपन बात: बरसाइत -पतिक दीर्घायुक कामना के लेल: पतिक दीर्घायुक कामना के लेल मनाओल जैत पाबनि बरसाइत : - पतिक दीर्घायुक कामना करैत रविदिन १७/५/२०१५ के मिथिलान्चलक महिला बरसाइत (बट सावित्र...

Friday 8 May 2015

शब्द का रक्खे ध्यान !!

शब्द का रक्खे ध्यान !!
तीर - कमान का घाव उतना दर्द नहीं देता, जितना शब्द बाण का घाव (कभी भी सीने में चुभने लगती हैं ) हार्ट अटैक का एक ये भी कारन हो सकता हैं  - संजय झा "नागदह"

Monday 4 May 2015

चलू जंतर मंतर-मंतर देल्ही - १० मई के

चलू  जंतर मंतर-मंतर  देल्ही - १० मई के 
10 तारीख के जंतर मंतर पर  , नहिये विद्यापति समारोह छैक, नहिये विद्यापतिक बरखी आ नहिये भोज. मुदा मिथिला स्टूडेंट यूनियन तैयो बजा रहल अछि, किएक त मिथिला संगे फेरो अन्याय भेल. हमरा बुझल अछि जे तथाकथित मैथिल के एहि सं कोनो टा फर्क नहि पड़ैत छन. मुदा जौं आहां चाहैत छी जे दरभंगा-सहरसा-पूर्णिया के टॉप-100 स्मार्ट सिटी मे जगह भेटय त लड़बा लेल आबय टा पड़त नहि त फेरो पछुआ जायब हम सभ ! जे मिथिलाक विकासक गप्प करैत छथि हुनका एहि शांति-मार्च मे आबय टा पड़त नहि त आगू सं विकास पुरुष सभ अप्पन मुुंह सीबी ली. हेयौ मैथिल आबो नहि जागब त कहियो नहि जागि सकब. बेर भ गेल अछि आउ संग दी आ शंखनाद करी अप्पन अधिकारक लेल.अपन  मातृभूमि   के  फर्ज पूरा करैक लेल -  

10 मई दिन के 2 बजे जंतर-मंतर,नई दिल्ली सं 30
औरंगजेब रोड तक शांति मार्च करी आ वेंकयां
नायडू जीके ज्ञापन सौंपी अपन शहर लेल संघर्ष  करी।
दरभंगा,पूर्णियां आओर सहरसा के स्मार्ट सिटी
में शामिल कराबी। जय मिथिला धाम।
सम्पर्क सूत्र : 8527972726, 956043700
जय मैथिलि  जय मिथिला 

Thursday 8 January 2015

देवी - वन्दना - जय - जय भैरवि असुर - भयाउनि -हिंदी में अनुवाद सहित

देवी - वन्दना - हिंदी में अनुवाद सहित
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जय - जय भैरवि असुर - भयाउनि
पसुपति - भामिनि माया ।।१।।
जय जय माता की , हे माँ तुम्हारी जय हो
तुम्हे देखकर असुर डर से काँप उठता हैं और तुम्हारी माया प्रभु शंकर को प्यारा है ।।१ ।।
सहज सुमति बर दिअ हे गोसाउनि
अनुगति गति तुअ पाया ।।२।।
हे माँ मैं तुम्हारा पैर पकड़ता हूँ , तुम तुरन्त मुझे एक वरदान दो जिससे मेरा गति अच्छी हो और मैं तुम्हारी आशीर्वाद से धन्य हो जाऊं।।२ ।।
बासर - रैनि सबासन सोभित
चरण, चंद्रमणि चूड़ा ।।३।।
तुम दिन - रात मुर्दे की आसन पर विराजमान रहती हो, और शिर से पाँव तक तुम्हारी तेज एक मणि की तरह चारों तरफ प्रकाश फैलाई हुयी है।।३ ।।
कतओक दैत्य मारी मुँह मेलल,
कतेक उगिलि करू कूड़ा ।।४।।
हे माँ तुमने कितने दैत्य को मारकर मुँह में रक्खा है , और कितने को निकालकर कुल्ला कर दिया ।।४ ।।
सामर बरन, नयन अनुरंजित,
जलद - जोग फुल कोका ।।५।।
श्यामल वर्ण और तुम्हारा रंगा हुआ आँख ऐसे लग रहें हैं जैसे कोई बादल में लाल कमल का फूल निकल आया हो ।।५ ।।
कट - कट विकट ओठ- फुट पाँड़रि
लिधुर - फेन उठ फोका ।।६।।
तुम्हारे लाल फूल जैसे होंठो से एक विकट सी आवाज हो रही है जिसमे से शोणित की धार बुद - बुदाकर निकल रही है ।।६ ।।
घन घन घनन घुघुर कत बाजए,
हन हन कर तुअ काता ।।७।।
तुम्हारी पाँव की घुंघरू बहुत जोर से बज रही है और तुम्हारी तलवार हन - हना रही है ।।७ ।।
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक,
पुत्र बिसरु जनि माता ।।८।।
माँ ये विद्यापति तुम्हारा दास है , तुम्हारा पुत्र है , इसे मत भूलो , आशीर्वाद दो ।।८ ।।
अनुवादक : संजय झा "नागदह"
08/01/2015
नोट : किसी प्रकार की त्रुटि हो तो जानकारी अवशय दे - आपका सहयोग अपेक्षित
दिअ = दो
गोसाउनि = गोस्वामिनी, भगवती
पाया = पैर
बासर = दिन
रैनि = रात
सबासन = शवासन = मुर्दे पर आसन
चंद्रमणि = चन्द्रकान्तमणि
चूड़ा = शिखर
कतओक = कितना ही
मेलल = रखा
कूड़ा = कुल्ला
अनुरंजित = रंगा हुआ , लाल
जलद जोग फुल कोका = बादल में लाल कमल फूलें हों
पाँड़रि = एक लाल फूल
फोका = बुद बुद
काता = कत्ता, तलवार