Tuesday 17 December 2013

मिथिला राज्य आंदोलन के निमित्त, दु-शब्द - संजय झा “नागदह”

मिथिला राज्य आंदोलन के निमित्त, दु-शब्द - संजय झा “नागदह” 5 दिसंबर २०१३, जंतर मंतर, नई दिल्ली
मिथिलानगरी नमस्तुभ्यं ,नमस्तुभ्यं मिथिलावासिने 
माता सीता नमस्तुभ्यं , जन्मभूमि नमस्तुते 
राम जी लक्ष्मण जी सँ कहने छथि:-
अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते, जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी
एहन सुंदर लंका नगरी जे स्वर्ण सँ बनल अछि मुदा हमरा कनिको नइ सोहाइत अछि कियाक त जन्मदाता आ जन्मभूमि त स्वर्गो सँ बढ़ि क अछि आ वोहू मे जतय माँ लक्ष्मी, सरस्वती, आदिशक्ति माता सीता के रूप मे पृथ्वी सँ अवतरित भेलीह ओ जगह अछि मिथिला
सबहक इच्छा होइत छनि जे मरणोपरांत स्वर्ग के प्राप्ति करी जखन कि हमारा अनुकूले जे सब पूर्व जन्म मे पुण्य अर्जित केने छथि हुनके जन्मटा एही मिथिला नगरिया मे होइत छनि,कारन कि आदिमाता अन्यत्र अवतरित भ सकैत छथि ? ओ एतहि जाहि भूमिमार्ग सँ अवतरित भेलीह पुनः ओहि मार्ग सँ पृथ्वी मे समाहित भ गेलीह
एहन सुंदर मिथिलाधाम में जन्म लेलापरान्तो हमरा लोकनिकेँ मिथिलावासी रहितहुँ बिहारी कह पड़ैत अछि हमर सभक पूर्बज सेहो बहूत प्रयास केलाह आ सतत सेहो लागल छथि मुदा एखनधरि प्रयास असफल रहल  हमर सभक जे संस्कार अछि जे ताहि अनुकूल अपन पूर्वजकेँ अर्थात जे हमरा सँ श्रेष्ठ  छथि वा छलाह हुनक प्रयास के सत-सत नमन करैत हमारा लोकनिक ई  कर्तव्य अछि, जे अपन  देवता, पितर, सभक अधूरा आस वा टुटल आसकेँ पूरा करबाक यथासाध्य कमरतोड़ मेहनत क' अपन इतिहास, भूगोल, संस्कृति,संस्कार,विधि,व्यवहार,पौराणिक धरोहरकेँ क्रमबद्ध रूपे प्रशाशनिक तरीका सँ रक्षा करवाक लेल यथासाध्य सामूहिक रूप सँ प्रयास करवाक चाही   

        

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