ला खे तरुअर कोटिहि लता
जुबति कत न लेख।
सब फुल मधु मधुकर नहि
फुलहु फुल बिसेख।।
जे फुल भमर निदहु सुमर
बासि न बिसरि पार।
जाहि मधुकर उड़ि - उड़ि पड़
सेहे संसारक सार।।
सुंदरि , अबहु बचन सून।
सबे परिहरि तोहि इछ हरि
आपु सराहहि पून।।
जुबति कत न लेख।
सब फुल मधु मधुकर नहि
फुलहु फुल बिसेख।।
जे फुल भमर निदहु सुमर
बासि न बिसरि पार।
जाहि मधुकर उड़ि - उड़ि पड़
सेहे संसारक सार।।
सुंदरि , अबहु बचन सून।
सबे परिहरि तोहि इछ हरि
आपु सराहहि पून।।
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