Monday 20 January 2014

कंस्टीच्यूशन क्लब में संजय झा “नागदह” क दू शब्द

मिथिलानगरी नमस्तुभ्यं ,नमस्तुभयं मिथिलावासिने 
माता सीता नमस्तुभ्यं , जन्म भूमि - कर्म भूमि नमस्तुते !!
एही सभागार में बैसल समस्त मिथिला राज्यक माँग के समर्थित अतिथि, मित्र लोकनि एक बेर फेर अपने लोकनिकें संजय झा, नागदह निवासी आ मिथिला राज्य निर्माण सेना के तरफसँ स्नेह युक्त चरण रज जे अपने लोकनि एहिठाम राखल ताहि हेतु अपने लोकनि के हार्दिक अभिनन्दन आ स्वागत करैत छि.
हम अपने लोकनि के विशेष किछु नहीं कहब, कारन, हमर सबहक एही संगोष्ठी में राजनीतिक आ सामाजिक स्थिति पर प्रकाश देबाक वास्ते विशेष वक्ता लोकनि अपन  - अपन वक्तव्य सँ मिथिला राज्य आंदोलन के दिशा आ दशा के प्रकाशित करताह. हम सिर्फ एतवे कहए चाहब जे जाहि मिथिलासँ  न्याय दर्शन लिखल गेल ओकरे संग अन्याय होए ? दिशा हमर सबहक एखन धरि बाल्य अवस्था में अछि त दशा कि रहत ? 
बहुतो राज्य भारत में भाषा - विशेष के कारन बनल जाहि में आसाम त' प्रमुख अछि, ओना हमर आलेख -मिथिला राज्य क्यों ? मिथिला राज्य निर्माण सेना के वेब साईट डव्लू डव्लू डव्लू डॉट एम आर एन एस डॉट इन पर देल अछि पढ़बाक प्रयत्न करब.
जावत धरि मिथिला में एकटा आवाजक गूंज जे 'हमरा चाही मिथिला राज्य' के नहीं होएत तावत धरि दशा उपयुक्त नहीं होएत - तैं, दिशा जौं हमसब ठीक करब त अपने आप दशा ठीक होएत आ माँग स्वीकार करबा लेल सरकार बाध्य होएत. ओना मैथिल जौं एकमत भ' सिर्फ ठानि मैथ, त' सालक - साल समय लगबाक त बात दूर एक साल में राज्य भेट सकैत अछि - हमर मैथिल एतेक प्रबुद्ध त' छथिहे. एही पर प्रबुद्ध लोकनि के सोचबाक जरुरत छन्हि. कारन एहन कोनो पार्टी नहि, विभाग नहि, मंत्रालय नहि, जतय मिथिलाक पुत्रक वर्चस्व नहि हो. 
संगे - संग हम एकटा सम्बाद देबय चाहैत छि, जे चाहे कतहु राहु , कोनो देश में , राज्य में , गाँव में, जतय मातृभाषा लिखय या लिखवए पड़ैत अछि, मातृभाषा मैथिली लिखल आ लिखाएल करू.
समस्त मिथिला क्षेत्रक लोककें इ भावना जगबय पड़तनि जे हम मिथिला के छि - हमरा मिथिला राज्य चाही - कारन हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई - जे बसती मिथिला ओ मैथिल भाई. एही मंत्र सँ एकजूटताक मिशन तैयार कएल जाए.
दिल्ली, मुम्बई, यत्र - कुत्र , प्रवास में जे वास करैत छथि हुनका रोजगार छनि आ अपन मिथिला में किछु नहि.बहुतो मैथिल के माय बौआ के अयबाक आस लगेने रहैत छथि, प्रवास में एतेक जगह नै, ओतेक आय नहि, जाहि सँ सबके संगे राखी सकथि. मिथिला में सिर्फ  रोजगार नहि होबाक करने - दाय के श्राद्ध में, बाबा मरलाह तखन, मुंडन में, उपनयन में, विवाह में एही क्रम में कोनो ना गाम जा पबैत छथि आ बुजुर्गक  सेवा नहि क पबैत छथि - जाहि सँ  हमर सबहक बुजुर्ग के सेहो बहुत कष्टक सामना करय पड़ैत छनि. सोचु कि हमरा सबके मिथिलाक समग्र विकाश के संग - संग मिथिला राज्य चाही ने ? जाहि सँ अपन मातृभूमि आ अपन माय के गोद में रहि सकि.
बस एतवे आर किछु नहि बहुत वक्ता लोकनि छथि, अपन - अपन विचार देताह - बस एकता बढ़ाऊ,
भायचारा बढ़ाऊ,वाज एक करू.

चाहे अहाँ रहु दिल्ली मुम्बई,

देश, विदेशक कोनो कोण में ,

मैथिल भेटिते, मैथिली बाजू टन ' मिठगर बोल में.

जाहि सँ आपस में लगाव बढ़ए कड़ी सँ कड़ी जोड़ैत रहु-   

बस एक संकल्प ध्यान में , मिथिला राज्य होई संबिधान में.

धन्यबाद .
अस्तु !
संजय कुमार झा 'नागदह '

दिनांक : १९ जनवरी २०१४

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